राष्ट्रीय कैंसर जागरुकता दिवस : लाइफस्टाइल में बदलाव कर बचा जा सकता है कैंसर से
आधुनिक लाइफस्टाइल, भोजन की शुद्धता पर ध्यान न देना और व्यायाम से दूर भागने ऐसे कारण हैं जिसके चलते किसी को भी कैंसर हो सकता है। ...और पढ़ें

वाराणसी (जेएनएन) : आधुनिक लाइफस्टाइल, भोजन की शुद्धता पर ध्यान न देना और व्यायाम से दूर भागना ऐसे कारण है जिसके चलते किसी को भी कैंसर हो सकता है। इसी वजह से लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष सात नवंबर को पूरे भारत में राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है।
राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय व चिकित्सालय वाराणसी के कायचिकित्सा व पंचकर्म विभाग के वैद्य अजय कुमार ने मंगलवार को बताया कि कैंसर वास्तव में बीमारी नहीं है बल्कि शरीर के किसी हिस्से का अनियंत्रित हो जाने को कहते हैं। सामान्य रूप से कहे तो कैंसर में शरीर के जो सेल्स होते हैं वो अपने आप से बढ़ने लगते हैं। कैंसर के प्रमुख कारण हैं।
यहां कैंसर होता है अधिक : पुरुषों में मुख और जबड़ों का, फेफड़े का, पित्त की थैली व लिवर के कैंसर तथा प्रोस्टेट कैंसर होता है। जबकि महिलाओं में स्तन और ओवेरियन कैंसर।
आयुर्वेद में कैंसर का इलाज :अभी तक कैंसर का सटीक इलाज नहीं मिल सका है। शुरुआती स्टेज में उपचार संभव है। आयुर्वेद में कैंसर को कर्कटार्बुद नाम से बताया गया है। वात पित्त और कफ प्रकोप से यह बीमारी होती है। लहसुन और प्याज में मौजूद सल्फर कंपाउंड बड़ी आत, स्तन, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करते है। जबकि फूलगोभी और ब्रोकोली जैसी सब्जियां फेफड़े, प्रोस्टेट, मूत्राशय और पेट के कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए भी जाने जाते हैं। हल्दी सबसे शक्तिशाली प्राकृतिक कैंसर रोधी है। यह कैंसर कोशिका को मारकर ट्यूमर को बढ़ने से रोकती है। टमाटर लाइकोपीन का समृद्ध स्त्रोत हैं, इसको बहुत मजबूत एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है। वैद्य अजय का कहना है कि व्यक्ति को खुद वैद्य नहीं बना चाहिए। उसे हमेशा योग्य वैद्य की देखरेख में आयुर्वेद की जड़ी-बूटियों का सेवन करना चाहिए।

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