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    Jaunpur News : शाहगंज जीआरपी के सिपाही हत्याकांड में पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत 7 को आजीवन कारावास

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Mon, 08 Aug 2022 05:11 PM (IST)

    जौनपुर में चार फरवरी 1995 को हुए शाहगंज जीआरपी के सिपाही हत्याकांड में पूर्व सांसद उमाकांत यादव उनके ड्राइवर गनर व 4 पीआरडी जवानों को आजीवन कारावास व जुर्माने की सजा। इस फैसले के बाद अब जल्‍द ही जेल होगी।

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    जौनपुर के शाहगंज जीआरपी के सिपाही हत्याकांड में पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत 7 को आजीवन कारावास

    जौनपुर, जागरण संवाददाता : शाहगंज रेलवे स्टेशन स्थित जीआरपी थाने के सिपाही हत्याकांड मामले में अपर सत्र न्यायाधीश एमपी/एमएलए कोर्ट शरद कुमार त्रिपाठी ने पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत सात आरोपियों को आजीवन कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाया। अर्थदंड की आधी धनराशि पीड़ित पक्ष को देने का आदेश हुआ।

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    तत्कालीन कांस्टेबल रघुनाथ सिंह जीआरपी शाहगंज ने घटना की एफआईआर दर्ज कराई थी। अभियोजन के अनुसार घटना चार फरवरी 1995 को ढाई बजे दिन जीआरपी चौकी पर सूचना मिली कि शाहगंज स्टेशन मास्टर कार्यालय प्लेटफार्म नंबर एक पर बेंच पर बैठने की बात को लेकर कुछ लोग झगड़ा कर रहे हैं। वहां पहुंचा तो एक ने खुद को तत्कालीन विधायक उमाकांत का ड्राइवर राजकुमार बताया। समझाने पर उसने वादी को थप्पड़ मार दिया और कहा कि तुम्हारी हिम्मत कैसे पड़ी बीच में आने की। वादी ने अन्य सिपाहियों को बुलाया। झगड़ा करने वाले दोनों लोगों को जीआरपी चौकी लाया गया।

    राजकुमार के साथियों ने भागकर उमाकांत यादव को सूचना दिया। थोड़ी देर में उमाकांत यादव रिवाल्वर लेकर, उनका गनर बच्चू लाल स्टेनगन(कार्बाइन) लेकर तथा उमाकांत के पीआरडी जवान सूबेदार, धर्मराज, महेंद्र व सभाजीत राइफल लेकर , अन्य आरोपित बंदूक व तमंचा लेकर वहां पहुंचे। उमाकांत ने ललकारा कि मारो एक भी बचने न पाए और सभी अंधाधुंध फायरिंग करने लगे। प्लेटफार्म पर भगदड़ मच गई। फायरिंग में कांस्टेबल अजय सिंह की मौत हो गई तथा आरक्षी लल्लन सिंह, रेलवे कर्मचारी वाटसन निर्मल लाल तथा एक यात्री भरत लाल गंभीर रूप से घायल हो गए। फायरिंग से चौकी के दरवाजे व शीशे टूट गए। आरोपितों ने राजकुमार को पुलिस अभिरक्षा से छुड़ा लिया।इसके बाद चौकी के मालखाने को लूटने का प्रयास किए। पुलिसकर्मी रघुनाथ सिंह व लालमणि सिंह ने सरकारी रायफल से फायरिंग किया तब उमाकांत और अन्य आरोपित राजकुमार को अपने साथ लेकर भाग गए। घायलों का मेडिकल कराया गया।

    जीआरपी पुलिस द्वारा प्रारंभ में विवेचना की गई। इसके बाद विवेचना सीबीसीआईडी द्वारा ग्रहण की गई और विवेचक ने उमाकांत यादव, बच्चू लाल, सूबेदार, धर्मराज, महेंद्र ,सभाजीत व राजकुमार के खिलाफ हत्या एवं हत्या के प्रयास सहित 10 धाराओं में आरोप पत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया।

    अभियोजन पक्ष से सीबीसीआईडी के सरकारी वकील मृत्युंजय सिंह एवं यहां के सरकारी वकील लाल बहादुर पाल व अनिल सिंह कप्तान ने अभियोजन पक्ष से पैरवी की। 19 गवाह परीक्षित कराए गए। गवाह पुलिसकर्मी लल्लन सिंह आरोपितों के भय से पक्षद्रोही घोषित हुआ। पुलिस कर्मी रघुनाथ सिंह व लालमणि सिंह ने घटना का समर्थन किया। विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट के संबंध में गवाह ने बयान दिया कि दोषियों के पास से बरामद हथियारों से गोली चलना प्रमाणित हुआ है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस एवं समस्त साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद उमाकांत व अन्य आरोपितों को हत्या ,हत्या के प्रयास व अन्य धाराओं में दोषी पाते हुए सजा सुनाया।

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