बलिया में प्रशासन के लिए चुनौती बनता चला जा रहा भूमि संबंधी विवाद, राजस्व विभाग की लापरवाही
किसी भी भूमि संबंधी विवाद के निस्तारण का पूरा अधिकार राजस्व विभाग के पास है जबकि इसके लिए उनके पास बल का अभाव है। वहीं पुलिस के पास बल है तो भूमि संबंधी अधिकार नहीं हैं। इन दोनों की जुगलबंदी कभी बनती नहीं।
बलिया, जेएनएन। किसी भी भूमि संबंधी विवाद के निस्तारण का पूरा अधिकार राजस्व विभाग के पास है जबकि इसके लिए उनके पास बल का अभाव है। वहीं पुलिस के पास बल है तो भूमि संबंधी अधिकार नहीं हैं। इन दोनों की जुगलबंदी कभी बनती नहीं। एक को ठीक करो तब तक दूसरा पीछे हटने लगता है। बस, इसी बिसात पर राजस्व कर्मियों की उपेक्षा से निस्तारण के अभाव में क्षेत्र में दर्जनों भूमि विवाद के मामलों की आग अंदर ही अंदर सुलग रही है।
वर्षो से प्रशासन के लिए सिरदर्द बने कई मामले जो मुखर होने के बाद दबा तो दिए गए हैं लेकिन ठोस हल के अभाव में ये मामले कभी भी दोबारा अपना फन उठाकर आम जनता व प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। सबकुछ जानते हुए भी प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ इस व्यवस्था को चरितार्थ कर रहें हैं कि अगली बार जब बवाल होगा तो कोई जरूरी थोड़े है कि हम ही यहां होंगे। जो होगा वो देखेगा और निपटेगा। इसी विचारधारा के साथ बड़े बड़े मामले निस्तारण के अभाव से जूझ रहे हैं। हालांकि बीते समय सोनभद्र की घटना से सबक लेकर प्रशासन ने इसके लिए बीते दिनों कुछ कवायद शुरू की थी लेकिन समय की धारा में सब खत्म हो गया।
घघरौली गांव में हुई ग्रामीणों व पुलिस के बीच की ङ्क्षहसक झड़प को अभी लोग भूले नही हैं। मामले में तमाम प्रशासनिक अधिकारी घायल हुए और घंटो बवाल चलता रहा। सैकड़ों ग्रामीणों के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ और कई दिन तक इस बवाल को लेकर गांव छावनी में तब्दील रहा। इतना सब कुछ होने के बाद भी उक्त मामले में समस्या की मुख्य जड़ वहां का भूमि विवाद जिम्मेदारों ने बिना निस्तारित किये छोड़ दिया। आने वाले समय मे एक बार फिर बवाल की वजह बन सकता है।सलेमपुर गांव में भाइयों के बीच जमीन के विवाद को लेकर मुकदमों की फेहरिस्त बढ़ती चली जा रही है। वहीं ऐसे दर्जनों मामले एक के बाद एक समाधान दिवस व तहसील दिवस के आयोजनों पर खुद की उपस्थिति भी दर्ज करा रहें है। आलम यह है कि राजस्व विभाग की लापरवाही से सामाजिक समरसता को लगातार खतरों के सामना करना पड़ रहा है लेकिन खुद को सुरक्षित रखने के प्रयास में जिम्मेदार सामाजिक द्वेष को बढऩे देने से भी परहेज नही कर रहें हैं।