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वाराणसी के हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय को पंडित निक नेम से बुलाते हैं साथी, टीम के कप्‍तान का भी है उपनाम

Lalit Upadhyay बर्मिंघम कामनवेल्थ में रजत पदक जीतने वाली भारतीय हाकी टीम के सदस्य ललित उपाध्याय ने कहा कि साथी मुझे पंडित के नाम से बुलाते हैं। मुझे तो यह इतना पसंद है कि मैं इसी नाम की टी-र्शट पहकर खेलना चाहा। नियमों की वजह से संभव नहीं हो पाया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 15 Aug 2022 08:02 PM (IST)Updated: Mon, 15 Aug 2022 08:02 PM (IST)
वाराणसी के हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय को पंडित निक नेम से बुलाते हैं साथी, टीम के कप्‍तान का भी है उपनाम
बर्मिंघम कामनवेल्थ में रजत पदक जीतने वाली भारतीय हाकी टीम के सदस्य ललित उपाध्याय विश्‍वनाथ मंदिर में दर्शन करते।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : बर्मिंघम कामनवेल्थ में रजत पदक जीतने वाली भारतीय हाकी टीम के सदस्य ललित उपाध्याय अपने गृह जनपद बनारस आए। उन्होंने दैनिक जागरण प्रतिनिधि देवेन्द्र नाथ सिंह से बातचीत में खेल और अपने व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी बातें बताईं।

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0-खिलाड़ी एक-दूसरे का निक नेम रख देते हैं, आप का क्या है?

-साथी मुझे पंडित के नाम से बुलाते हैं। मुझे तो यह इतना पसंद है कि मैं इसी नाम की टी-र्शट पहकर खेलना चाहा। नियमों की वजह से संभव नहीं हो पाया। कप्तान मनप्रीत को कोरियन और हरमनप्रीत को हैनी के नाम से बुलाते हैं। यह निक नेम मैच के दौरान एक-दूसरे के साथ संवाद में बड़ा काम आता है। उस वक्त लंबे-लंबे नामों से एक-दूसरे को पुकारना संभव नहीं होता है।

0-मैच के बाद खुद को रिलैक्स करने के लिए क्या करते हैं?

-मैं आइस बाथ लेता हूं। मौसम चाहे जैसा हो पांच से सात मिनट तक आइस बाथ जरूर लेता हूं। तापमान चाहे जितना काम तो यह मेरे लिए जरूरी होता है। बर्मिंघम में भी मैंने हर मैच में यही किया। कई बार तो ऐसा हुआ कि तापमान एक या दो डिग्री सेल्सियस रहा तब भी मैंने आइस बाथ किया। यह मुझे बेहद रिलैक्स करता है।

0-बहुत से खिलाड़ी मैच से पहले टोटका करते हैं, आप भी ऐसा कुछ करते हैं?

-यह तो बहुत व्यक्तिगत सवाल है। इसका जवाब हां, लेकिन मैं टोटका क्या करता हूं यह नहीं बता सकता है क्योंकि टोटका बताया नहीं जाता है। मैं ही नहीं कई साथी खिलाड़ी ऐसा करते हैं। हर किसी कि अपनी आस्था और सोच है। इस बारे में कोई किसी कुछ बताता नहीं है। कोई पूछता भी नहीं है।

0-कोई महत्वपूर्ण मैच हारने के बाद ड्रेसिंग रूम का माहौल कैसा रहता है?

-मैच के बाद ड्रेसिंग रूम का माहौल बेहद दोस्ताना होता है। ग्राउंड पर हुई गलतियों को किसी पर थोपा नहीं जाता। उन गलतियों से सीखकर आगे उसमें सुधार कैसे किया जा सकता है इस पर चर्चा ज्यादा होती है। हर कोई एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते हैं। मैच के दौरान आपसी तालमेल बेहद जरूरी होता है। इसकी शुरुआत ड्रेसिंग रूम से ही होती है।

0-आपने तो दुनिया के कई देशों की यात्रा कर ली, सबसे ज्यादा देश कौन सा अच्छा लगता है?

-बचपन में छत पर सोकर हवाई जहाज देखते थे अब तो हवाई जहाज की यात्रा बहुत ज्यादा करते हैं। खेल के चलते दुनिया के कई देशों में जाने का मौका मिला। प्रकृति से प्रेम है इसलिए मुझे सबसे ज्यादा न्यूजीलैंड पसंद आता है। उस देश में टूर्नामेंट हो तो मैच के बाद झीलों के किनारे जाकर बैठ जाता हूं। बहुत ही सुकून मिलता है और खेल पर फोकस करने में मदद मिलती है।

0-विदेश में मैच खेलने के दौरान खाने को लेकर कितनी परेशानी होती है?

-कोई खास परेशानी तो नहीं होती है लेकिन वहां दाल, रोटी चावल आदि घर जैसा खाना मिल जाए तो मजा आ जाता है। कई बार होता है कि दूसरे देशों में भारत के रहने वाले मिल जाते हैं। वो हमें अपने घर खाने पर ले जाते हैं तो भरपेट हम लोग मनपसंद खाना खाते हैं।


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