Lal Bahadur Shastri Death Anniversary: बनारस के लाल और देश के रत्न ने जब पत्नी के खिलाफ दिया धरना
Lal Bahadur Shastri Death Anniversary वर्तमान दौर में जब जेलों में विशेष लोगों के लिए विशेष चीजें बाहर से मंगाई जाती हैं लेकिन उन दिनों में भी शास्त्री जी ने अपनी सादगी से समझौता नहीं किया और पत्नी के खिलाफ धरने पर बैठ गए।

वाराणसी, जेएनएन। Lal Bahadur Shastri Death Anniversary आज छोटे से पद और प्रतिष्ठा पाने के बाद लोग इतराने लगते हैं लेकिन उस दौर में भी देश के शीर्ष पद पर आसीन होने के बाद भी बनारस के लाल और देश के रत्न लालबहादुर शास्त्री बेहद सादगी से जिए और वही सादगी आज उनकी पहचान के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज है। शास्त्री जी के सादगी जीवन की कई कहानियां लोकप्रिय हैं। जिनकी चर्चा आज भी गाहे-बगाहे होती रहती है। वर्तमान दौर में जब जेलों में विशेष लोगों के लिए विशेष चीजें बाहर से मंगाई जाती हैं लेकिन उन दिनों में भी शास्त्री जी ने अपनी सादगी से समझौता नहीं किया और पत्नी के खिलाफ धरने पर बैठ गए।
जब पत्नी के खिलाफ दिया धरना
स्वतंत्रता आंदोलन में जब वह जेल गए तब उनकी पत्नी चुपके से उनके लिए दो आम छिपाकर जेल में ले गई। इस पर वह खुश होने के बजाय उन्होंने उनके खिलाफ धरना शुरु कर दिया। उनका तर्क था कि कैदियों को जेल के बाहर की कोई चीज खाना कानून के खिलाफ है। उनमें नैतिकता कूट कर भरी थी कि एक बार जेल से उनको बीमार बेटी से मिलने के लिए 15 दिन की पैरोल पर छोड़ा गया था लेकिन बीच में वह चल बसी तो शास्त्री जी पेरोल अवधि पूरी होने से पहले ही जेल वापस आ गए।
दहेज में लिया खादी वस्त्र
आज शादियों में जहां लाखों रुपये दहेज में मांगे जाते हैं। लेकिन शास्त्री जी की सादगी वहां भी दिखी। शादी में उन्होंने दहेज लेने से इनकार कर दिया था। बहुत जोर देने पर उन्होंने कुछ मीटर खादी का वस्त्र दहेज में लिया।
महिलाओं को जोड़ा ट्रांसपोर्ट सेक्टर से
ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर के तौर पर सबसे पहले उन्होंने ही महिलाओं को इस इंडस्ट्री में बतौर कंडक्टर जोड़ा। इस फैसले का बहुत विरोध हुआ। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए उन्होंने लाठीचार्ज की बजाय पानी की बौछार का सुझाव दिया।
उधार मंगना नहीं समझे मुनासिब
बचपन में दोस्तों के साथ शास्त्री जी गंगा नदी के पार मेला देखने गए थे। वापस लौटते समय नाववाले को किराया देने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। उन्होंने दोस्तों से पैसे मांगना मुनासिब नहीं समझा। किताबों में दर्ज स्मृतियों के अनुसार उन्होंने दोस्तों को नाव से जाने के लिए कह दिया और बाद में स्वयं नदी पार करके घर लौटे।
पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि
देश के पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी के 55 वीं पुण्यतिथि पर संस्कृति विभाग और भारतीय जनजागरण समिति की ओर से रामनगर स्थित शास्त्री स्मृति भवन में पुष्पांजलि और भजन गायन का आयोजन सुबह 10.30 बजे से किया गया है।
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