वाराणसी में विशालाक्षी शक्तिपीठ में तीन दिवसीय कुम्भाभिषेक का समापन
वाराणसी के विशालाक्षी शक्तिपीठ में तीन दिवसीय कुम्भाभिषेक समारोह का समापन हुआ। इस दौरान कई धार्मिक अनुष्ठान हुए, जिनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। भक्तों ने देवी के दर्शन किए और कुम्भाभिषेक के पवित्र जल से आशीर्वाद प्राप्त किया। विशालाक्षी शक्तिपीठ वाराणसी के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और इसका विशेष महत्व है।

इस अनुष्ठान के समापन ने काशी के धार्मिक वातावरण को और भी समृद्ध किया है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी के प्रसिद्ध विशालाक्षी शक्तिपीठ में आयोजित तीन दिवसीय कुम्भाभिषेक अनुष्ठान का विधिवत समापन बुधवार को हुआ। इस अवसर पर माँ विशालाक्षी के विग्रह का अभिषेक पवित्र नदियों के जल से किया गया, जो दक्षिण भारतीय परंपरा के अनुसार संपन्न हुआ। इस अनुष्ठान के दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भव्य आरती और अलंकरण का आयोजन किया गया।
अनुष्ठान के अंतिम दिन स्वर्ण कलश की स्थापना के बाद मंदिर के पट सुबह 10 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए बंद रहे। इसके पश्चात, वैदिक ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चार एवं विधि-विधान से पंचामृत स्नान कराने के बाद माँ के विग्रह के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए, जिन्होंने पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
कुम्भाभिषेक का यह समापन वाराणसी के धार्मिक माहौल में एक विशेष आकर्षण बन गया। इस अनुष्ठान में दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं की भी बड़ी भागीदारी देखी गई, जिन्होंने अपनी आस्था और श्रद्धा के साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया।
विशालाक्षी शक्तिपीठ, जो कि काशी का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, में इस प्रकार के अनुष्ठान का आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। यहाँ पर आयोजित कुम्भाभिषेक ने न केवल स्थानीय भक्तों को, बल्कि दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं को भी एकत्रित किया।
इस अनुष्ठान के समापन ने काशी के धार्मिक वातावरण को और भी समृद्ध किया है। श्रद्धालुओं ने इस अवसर का भरपूर लाभ उठाया और माँ विशालाक्षी के प्रति अपनी भक्ति प्रकट की। इस प्रकार, कुम्भाभिषेक का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का भी प्रतीक बना।

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