बीएचयू के नवनियुक्त कुलपति से मिले कृपाशंकर सिंह, विश्वविद्यालय के विकास में सहयोग का दिया आश्वासन
भाजपा नेता कृपाशंकर सिंह ने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय की ओर से स्थापित इस विश्वविद्यालय में सभी विषयों की शिक्षा दी जाती है और यह विश्व का एकमात्र आवासीय विश्वविद्यालय है जहां इतनी विविधताएं मौजूद हैं। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विकास के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। वरिष्ठ भाजपा नेता और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह ने शनिवार को वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी से शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विकास के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय की ओर से स्थापित इस विश्वविद्यालय में सभी विषयों की शिक्षा दी जाती है और यह विश्व का एकमात्र आवासीय विश्वविद्यालय है जहां इतनी विविधताएं मौजूद हैं।
उन्होंने सर सुंदरलाल चिकित्सालय और ट्रामा सेंटर की भी सराहना की जो पूर्वांचल के साथ-साथ बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। कृपाशंकर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काशी के सांसद के रूप में भूमिका की भी प्रशंसा की, जिन्होंने ट्रामा सेंटर, टाटा कैंसर अस्पताल और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल जैसी परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी को एक कुशल शिक्षक, वैज्ञानिक और प्रशासक बताया और उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय के विकास की उम्मीद जताई।
उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय अपने शीर्ष पर पहुंचे और ऐसे में उन्हें मुझसे जो भी सहयोग अपेक्षित होगा पूरा सहयोग प्रदान करूंगा। कृपाशंकर सिंह ने ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय में गत कई महीनों से रिक्त कुलपति, एग्जीक्यूटिव काउंसिल की नियुक्ति और विश्वविद्यालय में व्याप्त अनियमितताओं के संदर्भ में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर व उनसे बात कर इस ओर उनका ध्यान दिलाया था। इसके परिणाम स्वरूप विश्वविद्यालय को ईसी व वीसी दोनों ही मिले। उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री के प्रति आभार जताया।
बीएचयू के के उन्नयन के लिए प्रमुख रणनीतिक प्राथमिकताएं
- सुरक्षा एवं सुशासन को मज़बूती देना।
- परिसर में एआइ आधारित निगरानी प्रणाली।
- बायोमैट्रिक प्रवेश व्यवस्था, साइबर सुरक्षा तंत्र स्थापित करना।
- सुरक्षा परिषद का गठन हो जिसमें विद्यार्थी, शिक्षक व प्रशासन की सक्रिय भागीदारी हो।
- समय-समय पर सुरक्षा और सुशासन की पारदर्शी समीक्षा सुनिश्चित करना।
- इंस्टीट्यूट आफ एमिनेंस की फंडिंग का प्रभावी उपयोग हो।
- उत्कृष्ट प्रयोगशालाएं, सुपरकम्प्यूटिंग सुविधाएं बढ़े।
- डिजिटल कक्षाएं, ई-लाइब्रेरी और आनलाइन पाठ्यक्रम प्लेटफ़ार्म विकसित करना।
- इंस्टीट्यूट आफ एमिनेंसी मूल्यांकन एवं मानिटरिंग प्रकोष्ठ बनाना।
- निधि का उपयोग शोधपत्र, पेटेंट, स्टार्ट-अप और सामाजिक प्रभाव हो।
- अंतरराष्ट्रीयकरण एवं मानकीकरण के लिए विश्व के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों के साथ समझौता हो।
- पाठ्यक्रमों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मानकों से जोड़ना।
- हर वर्ष “बीएचयू ग्लोबल समिट” का आयोजन कर नोबेल पुरस्कार विजेताओं, उद्योग प्रमुखों और प्रवासी पूर्व छात्रों को जोड़ना।
- प्रतिभा भर्ती, पदोन्नति एवं अंतरराष्ट्रीय शोध फंडिंग वैश्विक स्तर पर संकाय भर्ती अभियान चलाना।
- पारदर्शी एवं प्रदर्शन आधारित पदोन्नति व्यवस्था हो।
- अंतरराष्ट्रीय शोध निधि यूरोप, जापान, यूएसए, जर्मनी के संस्थानों तक पहुंच के लिए विशेष अनुसंधान अनुदान प्रकोष्ठ की स्थापना हो।
- नोएडा कैंपस : व्यवसाय, क़ानून एवं सार्वजनिक नीति (दिल्ली-एनसीआर निकटता)।
- बेंगलुरु कैम्पस : प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, एआई व नवाचार (भारत का टेक्नोलाजी केंद्र)।
- मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे कैंपस : चिकित्सा, जीवन विज्ञान व रचनात्मक कला (भारत का औद्योगिक-शैक्षणिक कारिडोर)।
- एक बीएचयू अनेक कैंपस की संकल्पना के अंतर्गत सभी कैंपसों का डिजिटल व शैक्षणिक एकीकरण।
- विद्यार्थी कल्याण एवं शैक्षणिक वातावरण : 24×7 छात्र कल्याण कंद्र (मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य, करियर परामर्श)।
- आवासीय सुविधाएं, खेल एवं सांस्कृतिक स्थल विकसित कर समग्र विद्यार्थी जीवन को सशक्त बनाना।
- प्रतिभावान एवं आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति, फेलोशिप व स्टार्ट-अप सहायता।
- प्रशासनिक पदों से हटाना एवं रोटेशन (रेक्टर, रजिस्ट्रार, चीफ प्राक्टर आदि)।
- जो लोग 2-3 वर्षों से लगातार महत्वपूर्ण पदों (रेक्टर, रजिस्ट्रार, चीफ प्राक्टर विभिन्न समितियों के सदस्य) पर जमे हुए हैं, उन्हें हटाना।
- रोटेशन नीति लागू की जाए, ताकि हर पद का कार्यकाल अधिकतम दो वर्ष तक ही सीमित हो।
- नेतृत्व विकास कार्यक्रम शुरू कर योग्य एवं नई पीढ़ी के शिक्षकों को प्रशासनिक भूमिकाओं में अवसर देना।
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