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    Kidney Stone: दो लीटर से कम हो रही है Toilet तो हो जाएं सावधान! एक्सपर्ट से जानें- कारण, लक्षण और बचाव

    Updated: Thu, 19 Jun 2025 04:33 PM (IST)

    Kidney Stone वाराणसी में गुर्दे की पथरी (किडनी स्टोन) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं खासकर बच्चों में। गलत जीवनशैली और कम पानी पीने के कारण यह समस्या पूर्वांचल में आम हो गई है। बीएचयू के यूरोलॉजी विभाग में रोजाना 160 से अधिक मरीज आ रहे हैं। डॉक्टर समीर त्रिवेदी का कहना है कि जड़ी-बूटी के चक्कर में न पड़ें और पानी की मात्रा बढ़ाएं।

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    Kidney Stone: फोटो- आइएमएस बीएचयू (जागरण आर्काइव)

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। आजमगढ़ की महिला को पीठ के निचले हिस्से और पेट में असहनीय पीड़ा थी। उन्हें मूत्र भी बहुत कम बन रहा था। कुछ माह पहले स्वजन उन्हें बीएचयू अस्पताल के यूरोलाजी विभाग की ओपीडी में लाए। उपचार शुरू हुआ तो जांच में गुर्दे की पथरी यानी Kidney Stone की पुष्टि हुई।

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    डाक्टरों ने उन्हें तत्काल दूरबीन विधि (लैप्रोस्कोपी) से सर्जरी कराने का सुझाव दिया, लेकिन महिला ने सर्जरी से इनकार कर दिया। उन्होंने जड़ी-बूटी की राह चुनी। पपीता का बीज और खास तरह की दाल का नियमित इस्तेमाल करने लगीं। झाड़-फूंक भी कराने लगीं, लेकिन समस्या दूर नहीं हुई बल्कि पथरी का आकार बढ़ गया।

    एक रोज तकलीफ अधिक बढ़ गई, लिहाजा उनकी जान मुश्किल में पड़ गई। 10 मिलीमीटर से बड़ी पथरी निकालने में आइएमएस के डाक्टरों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। इसके कारण मरीज को भी काफी तकलीफ झेलनी पड़ी। उक्त महिला की आपबीती तो सिर्फ बानगी भर है, दरअसल ऐसे केस यूरोलाजी विभाग में अधिक आ रहे हैं।

    विभाग की चार ओपीडी में प्रतिदिन 160 से अधिक मरीज गुर्दे की पथरी से जुड़े आ रहे हैं। यह संख्या प्रतिवर्ष 15 से 20 प्रतिशत बढ़ रही है। पहले यह आंकड़ा सौ से 110 के आसपास था। बच्चों में भी पथरी की समस्या अधिक सामने आ रही है। प्रतिदिन 10 से 15 बच्चे इस समस्या की जद में होते हैं जबकि पहले ऐसा बिल्कुल नहीं था। दो से चार बच्चे ही यह तकलीफ झेलते थे।

    पूर्वांचल में ऐसे मामलों का बढ़ना निश्चित रूप से माथे की लकीरें गहरा रहा है। यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में Kidney stone के मामले अधिक सामने आ रहे हैं। पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. समीर त्रिवेदी कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति दो लीटर से कम मूत्र उत्सर्जन कर रहा है तो उसे सतर्क हो जाना चाहिए।

    शरीर में पानी की मात्रा बढ़ानी होगी क्योंकि पानी की कमी के कारण जिंदगी Kidney stone के चलते तड़पने को विवश हो सकती है। जड़ी-बूटी के चक्कर में नहीं पड़ें। यूरिक एसिड के स्टोन को दवा से ठीक की संभावना अधिक होती है लेकिन बाकी स्टोन के लिए सर्जरी ही एकमात्र उपाय है।

    आपस में जुड़कर बड़ी पथरी का आकार लेते हैं क्रिस्टल

    प्रो. समीर त्रिवेदी ने बताया कि गांवों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में पथरी के मामले अधिक आ रहे हैं, जो जीवनशैली के बदलाव, आहार संबंधित आदतों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत के कारण हो सकता है। पथरी तब बनती है जब मूत्र में मौजूद कुछ पदार्थ, जैसे कैल्शियम, आक्सालेट व यूरिक एसिड उच्च सांद्रता में जमा हो जाते हैं और क्रिस्टल बनाते हैं।

    समय के साथ ये क्रिस्टल आपस में जुड़कर बड़ी पथरी का आकार ले लेते हैं। कैल्शियम स्टोन में कैल्शियम आक्सालेट या कैल्शियम फास्फेट के टुकड़े होते हैं जबकि स्ट्रूवाइट स्टोन मूत्र पथ के संक्रमण के बाद बनते हैं। यूरिक एसिड स्टोन मूत्र में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक होने से और मूत्र का पीएच स्तर बहुत कम होने की वजह से बनते हैं।

    नमक का अधिक सेवन मूत्र में बढ़ाएगा कैल्शियम

    शरीर में पानी की कमी गुर्दे की पथरी का बड़ा जोखिम कारक है, जिससे मूत्र में खनिजों का घनत्व बढ़ जाता है और पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा नमक का अधिक सेवन मूत्र में कैल्शियम के स्तर को बढ़ाती है, जिससे पथरी बनने का जोखिम बढ़ता है।

    आक्सलेट युक्त भोजन जैसे-पालक, चाकलेट, चाय और नट्स में आक्सलेट की अधिक मात्रा और प्रोटीन का अत्यधिक सेवन जैसे की मांस, अंडे और समुद्री भोजन जैसे उच्च प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाते हैं, जिससे पथरी बनने का खतरा रहता है।

    गुर्दे की पथरी के अन्य कारक

    • अधिक वजन या मोटापा होने से गुर्दे की पथरी बनने का जोखिम अधिक हो जाता है, क्योंकि इससे मूत्र में कैल्शियम और आक्सलेट की मात्रा बढ़ सकती है।
    • परिवार में किसी को गुर्दे की पथरी हुई हो तो संभावना है कि आपको भी इसका जोखिम अधिक हो सकता है।
    • पुरुषों में महिलाओं की तुलना में गुर्दे की पथरी बनने की संभावना अधिक होती है, खासकर 30 से 50 वर्ष की उम्र के बीच।

    लक्षण

    • पीठ के निचले हिस्से, पेट के साइड या पसलियों के नीचे अचानक और तेज दर्द होना।
    • बुखार और शरीर में कंपकंपी महसूस होती है।
    • मूत्र करते समय जलन या दर्द महसूस होना और मूत्र का कम होना।
    • बार-बार मूत्र आना, पेशाब में खून आना और गाढ़ा या दुर्गंधयुक्त पेशाब।
    • मूत्र प्रवाह अवरुद्ध होने से गुर्दे पर दबाव पड़ने से मितली और उल्टी होगी।

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