वाराणसी में ‘टेराकोटा ग्राइंडर’ की शुरुआत, खराब मिट्टी के बर्तन भी होंगे अब रिसाइकल Varanasi news
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी) ने वाराणसी स्थित सेवापुरी में पहली बार टेराकोटा ग्राइंडर’ मशीन लगाया गया है।
वाराणसी, जेएनएन। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी) ने वाराणसी स्थित सेवापुरी में पहली बार 'टेराकोटा ग्राइंडर’ मशीन लगाया गया है। यह मशीन मिट्टी के बर्तनों को फिर से उपयोग करने के लिए खराब और टूटे हुए बर्तनों को पीस देगी। जिससे प्राप्त उत्पाद के जरिए कोई भी व्यक्ति दोबारा उनका प्रयोग कर नए बर्तन बना सकता है। देश में यह पहला मौका होगा जब मिट्टी के बर्तनों के लिए ऐसा प्रयास किया गया है कि प्रयोग हो चुके मिट्टी के बर्तन दोबारा रिसाइकिल किए जा सकेंगे।
केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना के अनुसार पहले बर्बाद हुए मिट्टी के बर्तनों को सामान्य खल-मूसल (मोर्टार और मूसल) में पीस दिया जाता था और इसके बारीक पाउडर को सामान्य मिट्टी के साथ मिला कर निर्माण किया जाता था। सामान्य मिट्टी में इस पाउडर को निर्धारित अनुपात में मिलाने से मिट्टी के बर्तन भी काफी हद तक मजबूत हो जाते हैं। यह टेराकोटा की चक्की पारंपरिक मोर्टार और मूसल की तुलना में बेकार हुए मिट्टी के बर्तनों को काफी तेजी से पीसने का काम करेगी।
यह उत्पादन की लागत को कम करेगा और मिट्टी (क्ले) की कमी की समस्या को भी हल करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि वाराणसी क्षेत्र में मिट्टी के एक ट्रैक्टर ट्रॉली की कीमत लगभग 2,600 रुपये है। इस व्यर्थ टेराकोटा पाउडर के 20 प्रतिशत को मिलाकर, कुम्हार कम से कम 520 रुपये तक की बचत करेगा। इससे गांवों में रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे। चक्की को (केवीआइसी) द्वारा डिजाइन किया गया है और एक राजकोट की इंजीनियरिंग इकाई द्वारा निर्मित किया गया है।
इस मशीन के लगने से लगभग 900 नए रोजगारों का सृजन भी होगा। वहीं रेलवे मंत्रालय द्वारा जोनल रेलवे और आइआरसीटीसी को जारी निर्देश के बाद वाराणसी रेलवे स्टेशन पर टेराकोटा उत्पादों की बढ़ती मांग को भी पूरा करेगा। इससे स्थानीय रूप से मिलने वाला उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल भी होगा। वाराणसी और रायबरेली रेलवे स्टेशनों पर सभी खानपान इकाइयों के जरिए यात्रियों के लिए कुल्हड़ और प्लेट जैसे मिट्टी के उत्पाद भी उपलब्ध कराएगा। देश के 400 प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ और अन्य टेराकोटा उत्पादों को पेश करने का प्रस्ताव है। ऐसे में वाराणसी में यह प्रस्ताव खासकर रेलवे के लिए कहीं अधिक उपयोगी है।