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    नव्य‑भव्य व‍िश्वनाथ धाम से धार्मिक परिपथ यात्रा का केंद्र बनी काशी, कारोबार को लगे पंख

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Fri, 28 Nov 2025 02:13 PM (IST)

    काशी, नव्य-भव्य विश्वनाथ धाम के चलते धार्मिक यात्रा का केंद्र बन गई है। धाम के पुनरुद्धार के बाद पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, जिससे होटल, रेस्टोरेंट और हस्तशिल्प जैसे व्यवसायों में उछाल आया है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिला है और रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।

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    काशी को केंद्र में रखकर पर्यटकों को लुभाने के लिए डे-वन काशी टूर की रूपरेखा खींची गई है। 

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। सरकार की ओर से धार्मिक परिपथ को पर्यटन की दृष्टि से सजाने संवारने के लिए अनवरत प्रयास हो रहे हैं। इसी क्रम में जिला प्रशासन ने बनारस के पर्यटन उद्यम को फलक देने के लिए व्यापक स्तर पर इसके प्रचार प्रसार में जुटा है।

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    धार्मिक स्थल के बाद हेरिटेज भवन व स्थलों के पुनर्विकास की तैयारी है। फ्लैक्स पर बार कोड भी दिया गया है। आप इसको सर्च करेंगे तो धार्मिक परिपथ पर देखने वाले स्थल का नाम व बनारस से कितनी दूरी पर है। यह जान सकेंगे।

    काशी को केंद्र में रखकर पर्यटकों को लुभाने के लिए डे-वन काशी टूर की रूपरेखा खींची गई है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में एक फ्लैक्स लगाया गया है। इस पर काशी, विंध्याचाल धाम, अयोध्या, प्रयागराज व चित्रकूट के धार्मिक स्थल के महत्व को दर्शाते हुए चित्र के जरिए यह बताने की कोशिश की गई है कि आप यहां तक कैसे पहुंच सकते हैं। आप क्या-क्या देख सकते हैं।  

    काशी में पांच दिन का रात्रि प्रवास स्थल चुनकर आप कैसे इन प्रमुख स्थलों को भ्रमण कर यहां लौट सकते हैं।

    पहले दिन काशी दर्शन

    सुबह: सुबह ए बनारस, बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती, काल भैरव, हेरिटेज वाक, मान महल म्यूजियम, नागरी प्रचारिणी सभा, दुर्गा मंदिर, संकट मोचन मंदिर, बीएचयू में बाबा विश्वनाथ मंदिर। दोपहर में: काशी विश्वनाथ भोग आरती, टीएफसी, रामनगर फाेर्ट, ज्ञान प्रवाह, सरस्वती लाइब्रेरी, भारत माता मंदिर, राजघाट एएसआइ साइट। शाम में: गंगा आरती, नमो घाट, सारनाथ, शापिंग समेत अन्य स्थलों को रखा गया है।

    दूसरे दिन विंध्याचल धाम

    सुबह: विंध्याचल से पहले कैथी में मारकंडेय महादेव, गंगा गोमती घाट। 

    दोपहर में: विंध्याचल मंदिर, कालीखोह मंदिर, अष्टभुजा मंदिर, चुनार फोर्ट।

    शाम को: काशी लौटने के बाद नमो घाट पर गंगा आरती, मार्केटिंग।

    तीसरे दिन प्रयागराज टू

    सुबह में: सुबह-ए- बनारस देखने के बाद प्रयागराज के लिए प्रस्थान, बड़ा हनुमान जी, प्रयागराज म्यूजियम, अलोपी देवी मंदिर, सीता समाहित स्थल (भदोही) के बाद पुन: बनारस आगमन।

    चौथे दिन अयोध्या यात्रा

    गंगा घाट पर बनारस का लुत्फ उठाने के बाद अयोध्या के लिए प्रस्थान, अयोध्या में हनुमान गढ़ी, कनक भवन, राम की पैडी, रामजन्म भूमि मंदिर में भोग आरती, रामकथा पार्क, म्यूजियम देखने के बाद शाम को वाराणसी आगमन। 

    पांचवें दिन काशी से चित्रकूट भ्रमण

    राम घाट, सती अनूसुईया मंदिर स्पटिक शिला समेत अन्य मंदिर में दर्शन पूजन के बाद वाराणसी लौटकर चंद्रावती घाट पर डाल्फिन, सारनाथ लाइट एंड साउंड शो समेत अन्य बाजार को दर्शाया गया है। 

     

    बदलते बनारस को लग रहे पर्यटन के नए पंख

    • वर्ष 2014 से अब तक काशी में 51 हजार करोड़ से अधिक की परियोजनाएं ली आकार।
    • नव्य भव्य विश्वनाथ धाम बनने के बाद सर्विस सेक्टर में पर्यटन के कारण स्टे होम, होटल की स्थापना, मेडिकल टूरिज्म, इंस्टीट्यूट, ट्रांसपोर्ट सेवा में लगातार वृद्धि।
    • बनारस मंडल में सड़क नेटवर्क, स्वास्थ्य व शिक्षा क्षेत्र में व्यापक हुए कार्य।
    • प्रदेश की जीडीपी में बनारस का योगदान 1.99 प्रतिशत, रैंकिंग में टाप टेन में स्थान।
    • रोपवे, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण लेने के बाद इसमें और तेजी आएगी। 


    श्रीकाशी विश्वनाथ धाम नव्य भव्य होने के बाद पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। काशी, विंध्य, अयोध्या धार्मिक परिपथ का विकास के कारण होटल व परिवहन उद्यम विस्तार लिया है। प्रति व्यक्ति सालाना आय में वृद्धि हो रही है। रोपवे समेत नए निर्माण के बाद बनारस के विकास को और पंख लगेंगे।

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    एस राजलिंगम, मंडलायुक्त।