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    वाराणसी में आतंकवाद के खिलाफ बाबा काशी विश्वनाथ दरबार से गूंज उठी हुंकार

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Tue, 11 Nov 2025 04:27 PM (IST)

    वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम में नमामि गंगे ने 'आतंकवाद भारत छोड़ो' कार्यक्रम आयोजित किया। स्वतंत्रता सेनानियों के गीत गाए गए और आतंकवाद के विनाश की प्रार्थना की गई। राजेश शुक्ला ने कहा कि राष्ट्रगीत भारत की एकता का प्रतीक है। सभी ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रहने का संकल्प लिया।

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    आयोजन देशभक्ति की भावना को प्रबल करता है और प्रेरणा का स्रोत है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा भारत माता के सम्मान में गाए गए गीत की गूंज मंगलवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम में सुनाई दी। नमामि गंगे की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में सभी वर्गों के लोगों ने मिलकर 'आतंकवाद भारत छोड़ो' का संदेश दिया।

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    पुरुष, महिलाएं, युवा और बच्चे सभी ने गर्व के साथ राष्ट्रध्वज लेकर भारत माता की प्रतिमा के सामने राष्ट्रीय गीत गाया और बाबा विश्वनाथ से आतंकवाद के जड़ मूल से विनाश की प्रार्थना की।

    कार्यक्रम के दौरान, सभी ने एक स्वर में 'आतंकवाद भारत छोड़ो' का नारा लगाया। राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' की 150वीं जयंती के अवसर पर नागरिकों ने भावुक होकर इसे गाया।

    नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक और नगर निगम के स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर राजेश शुक्ला ने कहा कि श्री काशी विश्वनाथ धाम देशभक्ति और उत्साह का अद्भुत संगम है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रगीत केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की एकता, सम्मान और स्वतंत्रता का प्रतीक है।

    राजेश शुक्ला ने आगे कहा कि बाबा दरबार से आतंकवाद भारत छोड़ो का संदेश देकर आतंकवाद के जड़ मूल से विनाश का आशीर्वाद मांगा गया है। इस आयोजन में प्रमुख रूप से राजेश शुक्ला, सुमन शर्मा, राजवीर सिंह, भरत व्यास, सुबोध मेहरा, महर्षि योगी वेद विज्ञान विद्यापीठ के बटुक और श्रद्धालु शामिल हुए।

    इस प्रकार, काशी विश्वनाथ धाम में आयोजित इस कार्यक्रम ने न केवल आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया, बल्कि देशभक्ति की भावना को भी प्रबल किया। सभी उपस्थित लोगों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि वे आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रहेंगे और अपने देश की सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे।

    इस आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब भी देश को खतरा होता है, तब भारतीय एकजुट होकर उसका सामना करने के लिए तैयार रहते हैं। काशी विश्वनाथ धाम में गूंजती यह हुंकार न केवल वर्तमान में आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी।