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    ज्ञान, संस्कृति, कला और विरासत साझा का सेतु बनेगा काशी-तमिल संगमम, बोले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

    केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि काशी-तमिल संगमम का उद्देश्य दो संस्कृतियों को करीब लाना साझा विरासत की समझ और दोनों क्षेत्र के लोगों के बीच पारस्परिक संबंधों को मजबूत बनाना है। तमिलनाडु की सांस्कृतिक टोलियां काशी में अपनी कला का प्रदर्शन करेंगी।

    By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Fri, 04 Nov 2022 09:42 PM (IST)
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    वाराणसी के सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता करते केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी : काशी में तमिल संगमम का शुभारंभ 17 नवंबर को होगा। एक माह तक चलने वाला यह आयोजन भारतीय कला, साहित्य, संस्कृति, कारोबार व भाषा को साझा की दिशा में सेतु बनेगा। आयोजन की तैयारियों को देखने-परखने वाराणसी आए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को बताया कि इसमें तमिलनाडु के तीन शहर रामेश्वरम, कोयंबटूर व चेन्नई से 12 समूहों में कुल 2500 लोगों को काशी आमंत्रित किया जा रहा है। इनमें छात्र, शिक्षक, साहित्यकारों के अलावा कला-संगीत-नृत्य-नाटक-योग व आयुर्वेद से जुड़े लोग, उद्यमी, कारीगर, पुरातत्वविद, ग्रामीण व विभिन्न संप्रदाय से जुड़े लोग होंगे।

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    एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना तहत किया जा रहा काशी-तमिल संगमम

    केंद्रीय मंत्री ने कहा कि काशी-तमिल संगमम का उद्देश्य दो संस्कृतियों को करीब लाना, साझा विरासत की समझ और दोनों क्षेत्र के लोगों के बीच पारस्परिक संबंधों को मजबूत बनाना है। तमिलनाडु की सांस्कृतिक टोलियां काशी में अपनी कला का प्रदर्शन करेंगी। छोटे व्यवसायी अपना स्टाल लगाएंगे तो तमिलनाडु से आए बुनकर काशी के बुनकरों से मिलेंगे और अपने कारोबार व सृजनशीलता को आगे ले जाएंगे।

    प्रधानमंत्री की सोच एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना तहत आयोजित किया जा रहा काशी-तमिल संगमम प्राचीन भारत और समकालीन पीढ़ी के बीच सेतु बनेगा। ज्ञान, संस्कृति और विरासत के दो सबसे प्राचीन केंद्रों के बीच की कड़ी को जोड़ेगा।

    आठ दिवसीय यात्रा में तमिलनाडु के लाेग प्रयागराज और अयोध्या भी जाएंगे

    यह आयोजन साहित्य, प्राचीन ग्रंथों, दर्शन, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ आधुनिक नवाचार, व्यापारिक आदान-प्रदान, अगली पीढ़ी की टेक्नोलाजी आदि पर केंद्रित होगा। इन विषयों पर काशी में विचार-गोष्ठी, कार्यशाला होंगी। विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा। तमिलनाडु से आने वाले लोग नव्य-भव्य श्रीकाशी विश्ववनाथ धाम को देखने के साथ ही यहां के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण करेंगे। आठ दिवसीय यात्रा में वे प्रयागराज व अयोध्या भी जाएंगे। एक सवाल के जवाब में प्रधान ने कहा कि नई शिक्षा नीति में सभी भाषाओं को महत्व दिया गया है।