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    उत्तर दक्षिण के संगम के सदियों पुराने संबंध को नवजीवन दे रहा काशी-तमिल संगमम्

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Mon, 01 Dec 2025 01:08 PM (IST)

    काशी-तमिल संगमम् उत्तर और दक्षिण भारत के सदियों पुराने संबंधों को नया जीवन दे रहा है। यह आयोजन काशी और तमिलनाडु की संस्कृतियों के मिलन का उत्सव है, जो ज्ञान और परंपरा के आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य शिक्षा, कला और साहित्य के माध्यम से आपसी समझ को बढ़ाना और भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाना है।

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     दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी और दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल का सदियों पुराना नाता है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी-तमिल संगमम् के चौथे संस्करण की शुरुआत दो दिसंबर को नमो घाट पर होने जा रही है। दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी और दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल का सदियों पुराना नाता है। इन संबंधों को नई ऊर्जा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काशी-तमिल संगमम् की परिकल्पना की थी।

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    इसकी परिणति वर्ष 2022 में हुई जब तमिलनाडु से 10 हजार प्रतिनिधि काशी पहुंचे। काशी-तमिल संगमम् के पहले संस्करण की शुरुआत 17 नवंबर 2022 को गई लेकिन प्रधानमंत्री ने 19 नवंबर को इसका औपचारिक शुभारंभ किया। उस समय उन्होंने कहा था कि तमिल दुनिया की प्राचीन भाषा है। दुनिया इस पर आश्चर्य करती है पर हम गौरव गान में पीछे रह जाते हैं।

    अब 130 करोड़ देशवासियों की जिम्मेदारी है कि इस विरासत को बचाना, समृद्ध करना। मोदी ने कहा कि अगर हम तमिल को भुलाएंगे तो देश का नुकसान होगा और तमिल को बंधनों में बांधकर रखेंगे तो इसका नुकसान है। हमें याद रखना है कि हम भाषा भेद को दूर करें। भावनात्मक एकता कायम करें। यह आयोजन भाषा भेद को मिटाने की ऊर्जा देगा।

    इस बार तो काशी-तमिल संगमम् की थीम बहुत ही रोचक है-लर्न तमिल, तमिल करकलम्। काशी-तमिल संगमम् उन सभी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनेगा जिन्हें तमिल भाषा से लगाव है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उस समय सुब्रह्मण्य स्वामी की धरोहर को संजोने की घोषणा की। इसका आयोजन भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय और बीएचयू करता है। इसका समापन गृह मंत्री अमित शाह ने 16 दिसंबर को किया था।

    आए थे 11 केंद्रीय मंत्री: इस पूरे आयोजन की देखरेख के लिए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान स्वयं यहां डेरा डाले रहते हैं। पहले वर्ष आयोजन में 11 केंद्रीय मंत्री आए। इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर, संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी, डा. एल मुरुगन, तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई, आइआइटी मद्रास के निदेशक वी कामकोटी प्रमुख थे। साथ ही उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और तमिलनाडु के राज्यपाल रवींद्र नारायण रवि भी रहे।

    प्रतिभागियों ने निहारा काशी का वैभव: संगमम् के दौरान तमिलनाडु से आए लोगों ने न केवल गंगा स्नान किया बल्कि अपने साथ जल लेकर गए और रामेश्वररम् में अभिषेक किया। प्रतिभागियों ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में दर्शन, गंगा आरती, सारनाथ आदि स्थानों का भ्रमण किया। रेलवे ने विशेष ट्रेन की व्यवस्था की थी। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम चलते रहे। बीएचयू में प्रदर्शनी लगाई गई। काशी-तमिल संगमम् ट्रेन: काशी-तमिल संगमम् में काशी को काशी तमिल संगमम् एक्सप्रेस मिली। यह ट्रेन उत्तर और दक्षिण को जोड़े है।

    काशी-कांची के रूप में दोनों जगह सप्तपुरियां

    काशी-तमिल संगमम् इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि काशी में बाबा विश्वनाथ हैं तो तमिलनाडु में भगवान रामेश्वरम का आशीर्वाद है। काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय और शक्तिमय हैं। एक स्वयं काशी तो तमिलनाडु में दक्षिण काशी है। काशी-कांची के रूप में दोनों की सप्तपुरियों में अपनी महत्ता है। काशी और तमिलनाडु दोनों ही संगीत, साहित्य और कला के अद्भुत स्रोत हैं।

    काशी में बनारसी साड़ी तो तमिलनाडु का कांजीवरम सिल्क विश्व प्रसिद्ध है। दोनों संस्कृतियों का काशी में चार वर्ष से संगम हो रहा है। 12 विशेष दल पहुंचे थे काशी संगमम के पहले सत्र में तमिलनाडु से 12 दल यहां आए थे। इसमें छात्र, व्यापारी, किसान, प्रबुद्धजन, डाक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, धर्माचार्य आदि थे। संगीतकार इलैया राजा, अभिनेत्री खुशबू आदि आकर्षण के केंद्र रहे।