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    काशी तमिल संगमम 4.0 : तमिलनाडु से आया दूसरा दल, डमरू वादन और पुष्पवर्षा संग स्वागत

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Thu, 04 Dec 2025 11:20 AM (IST)

    काशी तमिल संगमम 4.0 में तमिलनाडु से आए दूसरे दल का भव्य स्वागत किया गया। बनारस रेलवे स्टेशन पर डमरू वादन और पुष्प वर्षा के साथ 'हर-हर महादेव' के नारों ...और पढ़ें

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     मेहमानों ने काशी की गर्मजोशी की सराहना की और काशी विश्वनाथ धाम के दर्शन करने की उत्सुकता जताई।

    जागरण संवाददाता वाराणसी। काशी तमिल संगमम-4.0 में दक्षिण भारत से आने वाले आगंतुकों का सिलसिला जारी है। बुधवार की देर रात दूसरा दल विशेष ट्रेन से बनारस रेलवे स्टेशन पहुंचा। इस दल में बड़ी संख्या में अध्यापक (टीचर्स डेलिगेशन) शामिल थे। स्टेशन पर उतरते ही मेहमानों का पारंपरिक तरीके से डमरू वादन, पुष्प वर्षा और ‘हर-हर महादेव’ तथा 'वणक्कम काशी’ के उदघोष से स्वागत किया गया।

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    मंत्री और मेयर रहे मौजूद

    स्वागत समारोह में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ और वाराणसी के मेयर अशोक तिवारी स्वयं उपस्थित रहे। दोनों ने मेहमानों को काशी की सांस्कृतिक आत्मीयता और तमिल-काशी के ऐतिहासिक संबंधों की जानकारी देते हुए उनका अभिनंदन किया।

    तमिल मेहमानों में दिखा उत्साह

    स्टेशन पर पारंपरिक स्वागत देखकर तमिल दल के सदस्यों में खासा उत्साह देखने को मिला। कई लोगों ने कहा कि काशी में मिल रही गर्मजोशी और आध्यात्मिक वातावरण उनके लिए अविस्मरणीय है। डमरू वादन की ध्वनि से पूरा परिसर शिवमय हो गया और काशी व तमिलनाडु की सांस्कृतिक एकता की झलक साफ दिखाई दी।

    आज काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन

    कार्यक्रम के तय शेड्यूल के अनुसार, तमिलनाडु से आए यह डेलिगेट्स गुरुवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन–पूजन करेंगे। इसके बाद वे गंगा तट, घाटों, तथा शहर के प्रमुख सांस्कृतिक और शैक्षिक स्थलों का भ्रमण भी करेंगे। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि अतिथियों को काशी की समृद्ध विरासत, कला, संस्कृति और अध्यात्म से परिचित कराने के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार किए गए हैं।

    तमिल–काशी संबंधों को मजबूत करने की पहल

    ‘काशी तमिल संगमम’ का उद्देश्य काशी और तमिलनाडु के बीच प्राचीन सांस्कृतिक, धार्मिक और शैक्षिक संबंधों को पुनर्जीवित करना है। इस बार चौथा संस्करण आयोजित हो रहा है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों- शिक्षा, संस्कृति, साहित्य, कला एवं उद्योग-से जुड़े प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।