अयोध्या में ध्वजारोहण पर काशी में पूजा-पाठ, 5000 दीपों की आभा से जगमगाया गंगा तट
अयोध्या में श्रीराम मंदिर पर ध्वजारोहण के बाद वाराणसी में उत्साह छा गया। काशी के घाटों पर 5000 दीपों से दीपोत्सव मनाया गया, जहाँ श्रद्धालुओं ने दीपदान किया और जय श्रीराम के नारे लगाए। श्रीकुल पीठ के पीठाधीश्वर ने रामभक्ति का संदेश दिया। असि घाट पर राम मंदिर की अनुकृति आकर्षण का केंद्र रही, जिससे लोगों में आस्था और गौरव की भावना जागृत हुई।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। उधर अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों नवनिर्मित भव्य श्रीराम मंदिर के 191 फीट ऊंचे शिखर पर ओम् और सूर्य अंकित धर्मध्वज लहराया, इधर पूरा भारत राममय हो उठा। श्रीराम के उपास्य भगवान शिव की काशी उल्लास में डूब गई।
अनेक स्थानों पर, मठों-मंदिरों में ढोल-नगाड़ों संग सुंदर कांड, मानस पाठ व हनुमान चालीसा के पाठ गूंजने लगे तो सायंकाल पतित पावनी मां गंगा का पावन तट 5000 दीपों की आभा से जगमग हो उठा। गंगा लहरों पर दीपों की रश्मियों की जगमगाहट ने ऐसा स्वर्णिम नैसर्गिक दृश्य रचा कि सभी सनातन के इस प्रकट प्रकाश में आह्लादित हो उठे।
असि घाट पर ब्रह्मराष्ट्र एकम विश्व महासंघ न्यास काशी एवं मां गंगा सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में हुए दीपोत्सव में श्रद्धालुओं ने दीपदान किए तो देशी-विदेशी सभी ने इस उल्लास में शामिल हो, जय श्रीराम के उद्घोष से वातावरण गुंजायमान कर दिया। महिलाओं-बेटियों ने रंग-बिरंगी आकर्षक रंगोलियां सजाईं।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए श्रीकुल पीठ काशी के पीठाधीश्वर डा. सचींद्रनाथ महाराज ने सभी श्रद्धालुओं को रामभक्ति, गंगाभक्ति एवं धर्मकार्य में निरंतर जुटे रहने का आग्रह किया।

महाराज के साथ श्रद्धालुजन जय श्रीराम के उद्घोष से संपूर्ण घाट को गुंजाते रहे। कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, मंगलगान, पुष्पवर्षा तथा आंचल, निहारिका, मुस्कान, श्रुति, प्राची, करुणा आदि स्कूली बच्चों द्वारा आकर्षक रंगोली निर्माण ने आधुनिक परिवेश में सनातन संस्कृति की जीवंतता को और अधिक प्रखर किया।
महाआरती में विकास पांडेय ने राम मंदिर का ध्वज पूजन कराया। इस अवसर पर स्थानीय गणमान्य नागरिक, सामाजिक संगठन, पुरोहित समाज और युवा स्वयंसेवक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

श्रीराम मंदिर की अनुकृति जगाती रही आस्था, श्रद्धा व गौरव
असि घाट पर महासंघ के तत्वावधान में आठ फीट लंबे, पांच फीट चौड़े श्रीराम मंदिर की काष्ठ अनुकृति रखी गई थी। पुष्पों से सुसज्जित यह अनुकृति श्रद्धालुओं में आकर्षण का केंद्र रही। सबने दर्शन-पूजन किया और इस महान ऐतिहासिक क्षण पर गौरवान्वित हो उठे। तत्पश्चात मां गंगा की महाआरती कर सबने इस पुण्य क्षण को नमन किया।
आज का दिन भारत की चेतना का पुनरुत्थान है। जैसे प्रभु श्रीराम के मंदिर पर धर्म ध्वज पताका आरूढ़ हुई है, यह केवल आस्था का विजय नहीं, बल्कि विश्व के लिए शांति, विश्वास और समृद्धि के संदेश का उद्घोष है। हम वसुर्धव कुटुंबकम् की भावना को आत्मसात कर रामराज्य के आदर्श समाज की ओर अग्रसर हों, यही आज का संकल्प है।
-स्वामी डा. सचींद्रनाथ महाराज, पीठाधीश्वर, श्रीकुल पीठ, काशी।

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