काशी में छाया जापानी परंपरा और पर्व का उल्लास, ओ एशिकी पर्व के लिए सज गया जापानी बौद्ध मंदिर
काशी में जापानी परंपरा और त्योहारों की रौनक छाई हुई है। जापानी बौद्ध मंदिर ओ एशिकी पर्व के लिए सज गया है। मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया है, जिससे वातावरण जापानी संस्कृति से भर गया है। इस पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में बहुत उत्साह है, और वे जापानी परंपरा का अनुभव करने के लिए उत्सुक हैं।

मंदिर को बिजली के रंगीन झालरों से भी सजाया गया है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। सारनाथ स्थित जापानी बौद्ध मंदिर को ओ एशिकी पर्व के अवसर पर बिजली के रंगीन झालरों और जापान के शकुरा फूलों से भव्य रूप से सजाया गया है। यह सजावट इस समय यहां आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इस पर्व का आयोजन जापानी वाद्य यंत्रों और मन्त्रो के उच्चारण के साथ धूमधाम से किया जाएगा।
धर्म चक्र इंडो जापान बुद्धिस्ट कल्चरल सोसाइटी की अध्यक्षा भिक्षु म्यो जित्सु नागा कुबो ने बताया कि 744वें ओ एशिकी पर्व के साथ-साथ मंदिर का 33वां और विश्व शांति स्तूप का 15वां वार्षिकोत्सव 20 और 21 नवंबर को मनाया जाएगा। मंदिर के प्रभारी कालजंग नोरबू ने जानकारी दी कि 20 नवंबर की शाम को जापानी सांस्कृतिक नृत्य बच्चों द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।
इस कार्यक्रम के लिए बौद्ध मंदिर और उसके परिसर को जापान के शकुरा फूलों और विभिन्न देशों के झंडों से सजाया जा रहा है। इसके साथ ही, मंदिर को बिजली के रंगीन झालरों से भी सजाया गया है।
इस दो दिवसीय पर्व में एक दर्जन से अधिक जापानी बौद्ध अनुयायी और सभी बौद्ध मठों के भिक्षु शामिल होंगे। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस पर्व के माध्यम से जापान और भारत के बीच की सांस्कृतिक कड़ी को और मजबूत किया जाएगा।
ओ एशिकी पर्व का आयोजन हर साल किया जाता है, जो बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक विशेष अवसर है। इस पर्व के दौरान, श्रद्धालु एकत्रित होकर शांति और समर्पण के साथ अपने धर्म का पालन करते हैं। वाराणसी में इस पर्व का आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह शहर धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र है।

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