सेहत की बातें : गंदे पानी में जापानी इंसेफ्लाइटिस तो साफ पानी में पनपते हैं डेंगू के मच्छर
बारिश के मौसम में जगह-जगह जलभराव और गंदगी जमा होने से कई संक्रामक बीमारियों का खतरा मंडराने लगता है। ऐसे में सभी को सतर्क व सावधान रहने की जरूरत है। जापानी इंसेफ्लाइटिस गंदे पानी में तो डेंगू के मच्छर साफ व ठहराव वाले पानी में पनपते हैं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। बारिश के मौसम में जगह-जगह जलभराव और गंदगी जमा होने से कई संक्रामक बीमारियों का खतरा मंडराने लगता है। ऐसे में सभी को सतर्क व सावधान रहने की जरूरत है। जापानी इंसेफ्लाइटिस गंदे पानी में तो डेंगू के मच्छर साफ व ठहराव वाले पानी में पनपते हैं। इस लिए सभी को बहुत अधिक सावधान रहने की जरूरत है। हालांकि इसे लेकर प्रशासन सभी सतर्क हो गया है। कारण कि चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में जेई के संदिग्ध व डेंगू के मरीज भी आने लगे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत डेंगू, मलेरिया के साथ ही साथ जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई), चिकनगुनिया, फाइलेरिया आदि संक्रामक बीमारियों के लिए ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा जागरूक किया जा रहा है।
जापानी बुखार भी कहा जाता है जापानी इंसेफ्लाइटिस को : जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पांडेय का कहना है कि जापानी इंसेफ्लाइटिस को ही आम बोलचाल में जापानी बुखार कहा जाता है। यह एक दिमाग़ी बुखार है, जो वायरल संक्रमण से फैलता है। इसके वायरस मुख्य रूप से गंदगी में पनपते हैं। इस बीमारी का वाहक मच्छर (क्यूलेक्स) है। वायरस जैसे ही शरीर में प्रवेश करता है, वह दिमाग़ की ओर चला जाता है। बुखार के दिमाग़ में जाने के बाद व्यक्ति की सोचने, समझने, देखने की क्षमता कम होने हो जाती है और संक्रमण बढ़ने के साथ ख़त्म हो जाती है। आमतौर पर एक से 14 साल के बच्चे और 65 वर्ष से ऊपर बुज़ुर्ग इसकी चपेट में आते हैं। उन्होने बताया कि कई सालों से जिले में अभी तक जेई के एक भी मरीज नहीं देखे गए । जेई की निःशुल्क जांच की सुविधा बीएचयू में उपलब्ध है।
मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है डेंगू : जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि डेंगू एक जानलेवा संक्रामक रोग है जोकि संक्रमित मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। अकेला एक संक्रमित मच्छर ही अनेक लोगों को डेंगू रोग से ग्रसित कर सकता है। बरसात के मौसम में ही डेंगू का खतरा बढ़ने लगता है । डेंगू फैलाने वाले मच्छर दिन में ही काटते हैं। इसके मच्छर ठहरे हुये व साफ पानी में पनपते हैं जैसे - कूलर के पानी, रुंधे हुये नालों में और नालियों में । डेंगू कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को आसानी से हो सकता है । इसलिए इसके प्रति बेहद सावधान, सतर्क व जागरूक रहने की आवश्यकता है। उन्होने बताया कि जिले के सभी शहरी एवं ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रों पर डेंगू के निःशुल्क जांच की सुविधा मौजूद है।
जापानी बुखार के लक्षण : बुखार, सिरदर्द, गर्दन में जकड़न, कमज़ोरी और उल्टी इस बुखार के शुरुआती लक्षण हैं। समय के साथ सिरदर्द में बढ़ोतरी होने लगती है और हमेशा सुस्ती छाई रहती है।
यदि यह दिखें तो नज़रअंदाज़ न करें
-तेज़ बुखार, सिरदर्द, अतिसंवेदनशील होना और लकवा मारना,
-भूख कम लगना भी इसका प्रमुख लक्षण है।
-यदि बच्चे को उल्टी और बुखार हो और खाना न खा रहे हों तथा बहुत देर तक रो रहे हों तो डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं।
-जापानी बुखार में लोग भ्रम का भी शिकार हो जाते हैं। पागलपन के दौरे तक पड़ते हैं।
डेंगू के लक्षण :
-तेज बुखार, मांस पेशियों एवं जोड़ों में अधिक दर्द,
-सिरदर्द, आखों के पीछे दर्द,
-जी मिचलाना, उल्टी, दस्त तथा त्वचा पर लाल रंग के दाने, इत्यादि
-स्थिति गम्भीर होने पर प्लेट लेट्स की संख्या तेजी से कमी
-नाक, कान, मुँह या अन्य अंगों से रक्त स्राव
-सिर्फ एक से दो लक्षण होने पर भी डेंगू पॉजिटिव आ सकता है। इसलिए सभी लक्षणों के होने का इंतजार नहीं करना चाहिए। यदि बुखार एक से दो दिन में ठीक न हो तो तुरन्त नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर इसकी जांच करानी चाहिए।
डेंगू की पहचान :
- कई बार डेंगू की गंभीर अवस्था को कुछ चिकित्सक यलो फीवर भी समझ लेते हैं। लेकिन पेशाब की जाँच से सही जानकारी मिल पाती है। खून की जाँच में एंटीबॉडीज का माप बढ़ जाता है, क्योंकि डेंगू रोग के विषाणु खून में भी होते हैं, इसलिए खून की जाँच भी की जा सकती है।
ऐसे करें बचाव :
-साफ़-सफ़ाई रखें, कोशिश करें कि घर के आसपास गंदगी न होने पाए।
-गंदे पानी के संपर्क में न आएं।
-बरसात के मौसम में खानपान के प्रति सचेत रहें।
-स्वच्छ पानी पिएं।
-घर के आसपास पानी न जमा होने दें
-घरों की खिड़कियों तथा रोशनदानों में मच्छर जालियाँ लगवाएँ।
-सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
-पूरी आस्तीन की कमीज के साथ साथ जूतों के साथ जुराब पहने।
-इसके अलावा समय से बच्चों का टीकाकरण कराएं। बच्चे को नौ माह पर तथा 16 से 24 माह पर क्रमशः जेई प्रथम व जेई द्वितीय का टीका अवश्य लगवाना चाहिए। इससे मस्तिष्क बुखार पर किसी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।
-सुअर पालन घर के आसपास या रिहाइशी आबादी से दूर रखें।
-भोजन पहले, शौच के बाद और जानवरों के संपर्क में आने के बाद हाथ जरुर धोएं।
-यदि घर में बर्तनों आदि में पानी भर कर रखना है तो ढक कर रखें। यदि जरुरत ना हो तो बर्तन खाली कर के या उल्टा कर के रख दें।
-कूलर, गमले आदि का पानी रोज बदलते रहें। यदि पानी की जरूरत ना हो तो कूलर आदि को खाली करके सुखायें।