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    International Tea Day : वर्ष 2020 में 15 दिसंबर को इस वजह से नहीं मनाया गया अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस

    By saurabh chakravartiEdited By:
    Updated: Tue, 15 Dec 2020 07:34 PM (IST)

    बनारस की अड़ियों को कौन नहीं जानता। अड़ीबाजों के लिए कुल्हड़ चाय और बतकही के बीच 2020 कोरोना संक्रमण ही नहीं बल्कि एक वजह और भी है जो दिवस विशेष को मनाने का मौका छीन ले गया। इस साल चाय दिवस 15 दिसंबर को नहीं मनाया जा रहा है।

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    वाराणसी में असि स्थित पप्‍पू की चाय की दुकान।

    वाराणसी, जेएनएन। बनारस की अड़ियों को कौन नहीं जानता। अड़ीबाजों के लिए कुल्हड़ पर कुल्हड़ चाय और बतकही के बीच 2020 कोरोना संक्रमण ही नहीं बल्कि एक वजह और भी है जो दिवस विशेष को मनाने का मौका छीन ले गया। प्रतिवर्ष 15 दिसंबर को विश्व चाय दिवस मनाया जाता रहा है, लेकिन इस साल चाय दिवस 15 दिसंबर को नहीं मनाया जा रहा है।

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    साल 2004 में मुंबई में व्यापार संघों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की बैठक हुई। उसमें अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का फैसला किया गया। पहली बार अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस 15 दिसंबर, 2005 को मनाया गया था। देश के पांच प्रमुख चाय उत्पादक देश चीन, भारत, केन्या, वियतनाम और श्रीलंका के अलावा मलावी, तंजानिया, बांग्लादेश, यूगांडा, इंडोनेशिया और मलयेशिया में अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है।

    वाराणसी में सिर्फ चायखाना नहीं अपने आप में एक आंदोलन

    बनारसी चाय का आंनद लेने वाले मुकेश जायसवाल, विजय कपूर के अनुसार चाय की उन दुकानों को भी याद किया जो कभी सिर्फ चायखाना नहीं अपने आप में एक आंदोलन हुआ करती थी। उन दिलदार चायवालों को भी याद किया। जिनके दम से शहर की रौनक गुलजार हुआ करती थी। इस क्रम में लोगों ने याद किया लंका वाले गार्जियन यानी टंडन जी को जिनकी चाय बड़े-बड़े अभियानों का सबब हुआ करती थी। चाय के साथ ही जिनकी कृपा से कितने ही गरीब छात्रों की दाल-रोटी चला करती थी। गोदौलिया वाले दी रेस्टोरेंट के नुटू दादा व लहुराबीर की मोती कैंटीन के जवाहर भईया की चाय आज भी लोगों को याद हैं। शहर में पहले-पहले आई थियोसाफिस्ट एनी बेसेंट ने पहली बार अपने मेहमानों के स्वागत के लिए टेबल पर क्राकरी में चाय सजाई और चाय के दीवाने हुए कितने ही लोगों को चाय बनाने की विधि समझायी। चालीस के दशक में बर्मा फ्रंट पर द्वितीय विश्व युद्ध के मोर्चे पर तैनात बलदेव सिंह के साथ लीकर चाय की चुस्की बनारस तक चली आई।

    21 मई को मनाया जाएगा

    भारत की सिफारिश पर अब संयुक्त राष्ट्र ने 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस घोषित कर दिया है। दरअसल अधिकतर चाय उत्पादक देश में गुणवत्तापूर्ण चाय उत्पादन का सीजन मई में ही शुरू होता है।

    अंग्रेजों ने बढ़ाया चाय का चलन

    कहते हैं कि भारत के असम में अंग्रेजों ने 1820 में पहली बार चाय की खेती शुरू की थी और उन्होंने ही यहां इसका चलन बढ़ाया। यूं तो चाइना के बाद सबसे ज्यादा चाय की खेती भारत में ही होती है, लेकिन चाय पीने के मामलों में भारत आगे नहीं है, यहां प्रति व्यक्ति सलाना सिर्फ 326.58 ग्राम चाय की खपत करता है।

    चाय की खोज

    जानकारी के मुताबिक आज से 2737 वर्ष ईसा पूर्व में चीन के राजा शेन निंग के लिए पानी उबाला जा रहा था। तभी कहीं से चाय की एक पत्ती उड़कर उसमें आ गिरी। इस पानी को पीकर राजा को बहुत ही आनंद आया और तब से चाय की शुरुआत हो गई। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि आज पानी के बाद विश्व में सबसे ज्यादा चाय पी जाती है। इसके अलावा आज दुनिया भर में जितनी चाय पी जाती है, उसमें 75 परसेंट ब्लैक टी है।

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