भारत और रूस की प्रगाढ़ दोस्ती के लिए आरती कर बाबा विश्वनाथ और मां गंगा से प्रार्थना
वाराणसी में नमामि गंगे ने भारत-रूस की दोस्ती के लिए गंगा आरती की। काशी विश्वनाथ से व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की प्रार्थना की गई। राजेश शुक्ला ने ...और पढ़ें

यह आयोजन भारत-रूस मित्रता का प्रतीक है और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देगा।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। पारंपरिक, मजबूत और विश्वसनीय भारत-रूस दोस्ती की नई इबारत लिखने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिखर वार्ता के अवसर पर नमामि गंगे ने श्री काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार पर मां गंगा की आरती उतारी। इस अवसर पर भारत-रूस के बहुमुखी और द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश संबंधों को मजबूत करने के लिए श्री काशी विश्वनाथ से प्रार्थना की गई।
नमामि गंगे टीम के सदस्यों ने भारत-रूस के राष्ट्रीय ध्वज और प्रधानमंत्री मोदी तथा राष्ट्रपति पुतिन की तस्वीरें लेकर बाबा विश्वनाथ और मां गंगा से प्रार्थना की। गंगा आरती और पूजन के बाद नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक एवं नगर निगम के स्वच्छता ब्रांड एम्बेसडर राजेश शुक्ला ने कहा कि मोदी-पुतिन की मुलाकात दोनों देशों के रिश्तों की नई दिशा तय करेगी।

शिखर वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन कट्टरवाद, उग्रवाद, सीमा पार आतंकवाद और वैश्विक आतंकवादी नेटवर्क को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे। इसके साथ ही, वैश्विक साझेदारी को समृद्ध करने के तरीकों पर भी चर्चा की जाएगी। राजेश शुक्ला ने बताया कि दोनों नेता द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने, सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने, और स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी को प्रोत्साहित करने पर भी विचार करेंगे।
उद्योग संबंधों के माध्यम से उभरती प्रौद्योगिकियों में नए रास्ते तलाशने की दिशा में भी चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि हमने मां गंगा से आशीर्वाद मांगा है कि भारत और रूस की द्विपक्षीय वार्ता हर मुद्दे पर प्रगाढ़ और मजबूत बनी रहे।

इस आयोजन में प्रमुख रूप से नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला, डाक्टर कमलेश कुमार, संतोष शर्मा, नितेश कुमार, चंद्रशेखर शर्मा, विश्वजीत त्रिपाठी, शांभवी मिश्रा एवं सैकड़ों नागरिक शामिल हुए।
भारत और रूस के बीच की मित्रता को और मजबूत करने के लिए यह आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है। दोनों देशों के नेताओं की यह मुलाकात न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का अवसर प्रदान करेगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सुरक्षा और विकास के मुद्दों पर सहयोग को बढ़ावा देगी। वाराणसी में आयोजित यह धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भारत-रूस संबंधों की मजबूती का प्रतीक बन गया है।

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