भारतीय सिनेमा से भारत ही गायब, सेंसर बोर्ड का कोई मतलब नहीं रह गया, वाराणसी में बोले-अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र
चंद्रकांता धारावाहिक में क्रूर सिंह के नाम से मशहूर हुए फिल्म अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र ने कहा कि भारतीय सिनेमा से भारत ही गायब है। सिनेमाओं में अब भारतीय संस्कृति सभ्यता नैतिक मूल्य नहीं देखने को मिलता है। सेंसर बोर्ड का कोई मतलब नहीं रह गया है।
वाराणसी, जेएनएन। चंद्रकांता धारावाहिक में क्रूर सिंह के नाम से मशहूर हुए फिल्म अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र ने कहा कि भारतीय सिनेमा से भारत ही गायब है। सिनेमाओं में अब भारतीय संस्कृति, सभ्यता, नैतिक मूल्य नहीं देखने को मिलता है। सेंसर बोर्ड का कोई मतलब नहीं रह गया है। फिल्मों व वेब सीरीज में अश्लीलता रोकने के लिए सरकार को कड़े कानून बनाने की जरूरत है।
वह शुक्रवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययन पीठ के समिति कक्ष में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वेब सीरीज में बेडरूम तक के सीन दिखाए जा रहे हैं, इसे रोकना जरूरी है। कहा कि पहले समाज में जो घटनाएं होती थीं उस पर फिल्में बनती थीं, लेकिन अब फिल्में देखकर घटनाएं हो रहीं हैं। ऐसे में अंकुश लगाना जरूरी है। एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अभिनय एक आध्यात्मिक साधना है। ऐसे में इसकी प्रतिष्ठा बनाए रखने की जरूरत है। इस दौरान अपने करियर का उल्लेख करते हुए कहा कि बचपन से ही अभिनय का शौक था। जब मैं पढ़ता था तो गांव में थिएटर करता था।
उन्होंने स्वीकार किया चंद्रकांता धारावाहिक से मुझे पहचान मिली। रामायण में रावण सहित विभिन्न टेली फिल्मों में काम कर चुका हंू। कहा कि चंद्रशेखर आजाद का किरदार निभा चुका है जो मेरे लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। उन्होंने बताया कि मेरी पहली फिल्म 'वीर गति रही। इसके बाद 'सरफरोश, 'लगान सहित तमाम फिल्मों में काम कर चुका हूं। जल्द ही दो और फिल्म आने वाली है। कहा कि जिस संस्था से चंद्रशेखर आजाद, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पढ़े हों, उस संस्था में मेरी किताब 'अखिलामृतम का विमोचन गर्व की बात है। कहा कि यह किताब लाकडाउन के दौरान मैंने लिखी थी। इस पुस्तक में राममय व रावण पर 42 मिनट की एक कविता भी शामिल है।