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    काशी से आज भी जुड़ा है सैम मानेकशॉ का इतिहास, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की दिलाता है याद

    By Abhishek PandeyEdited By: Abhishek Pandey
    Updated: Wed, 28 Jun 2023 09:04 AM (IST)

    India First Field Marshal Sam Manekshaw 27 जून 2008 को भारत के पहले 5 स्टार जनरल सैम मानेकशॉ का निधन हुआ था। पाकिस्तान से 1971 की निर्णायक जंग हो या फिर ब्रिटिश सेना की ओर से जापानियों के साथ युद्ध का मोर्चा हर मुद्दे पर भारत का यह वीर सपूत खरा उतरा। सैम के नाम पर काशी में एक क्रूज का संचालन किया जाता है।

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    काशी से आज भी जुड़ा है सैम मानेकशॉ का इतिहास, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की दिलाता है याद

    जागरण ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली:  27 जून 2008 को भारत के पहले 5 स्टार जनरल सैम मानेकशॉ का निधन हुआ था। पाकिस्तान से 1971 की निर्णायक जंग हो या फिर ब्रिटिश सेना की ओर से जापानियों के साथ युद्ध का मोर्चा हर मुद्दे पर भारत का यह वीर सपूत खरा उतरा।

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    सैम मानेकशॉ का पूरा नाम सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ है। इसका जन्म 3 अप्रैल 1914 को हुआ था। वह 1932 को इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच के 40 लोगों में से एक थे। सैम के नेतृत्व में ही भारतीय सेना ने 1971 का युद्ध लड़ा था और पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को प्रताड़ना से मुक्ति दिलाई थी।

    काशी में चलती है सैम के नाम की क्रूज

    आज के समय में हर एक युवा का सपना सैम मानेकशॉ की तरह बनने का होता है। यदि आप घूमने-फिरने के शौकीन हैं तो यूपी के वाराणसी में पर्यटक को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने साल 2020 को सैम मानेकशॉ के नाम पर आधुनिक नौका चलाई थी। जिसमें सवारियों के बैठने की क्षमता करीब 200 लोगों की है।

    सैम के नाम पर चलने वाला यह क्रूज अध्यात्म नगरी वाराणसी से उस नदी की सैर कराएगा, जिसका किनारा बांग्लादेश से मिलता है। जिसे कभी उन्होंने अपने नेतृत्व में आजाद कराया था। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी फौज के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष सरेंडर कर दिया था।

    1962 में सैम को सौंपी गई चौथी कोर की कमान

    साल 1948 में जब वीपी मेनन कश्मीर का भारत में विलय कराने के लिए राजा हरि सिंह के पास गए तो सैम मानेकशॉ भी उनके साथ थे। 1962 भारत-चीन युद्ध के बाद सैम को चौथी कोर की कमान सौंपी गई।

    7 जून वर्ष 1969 को सैम को भारत का 8 वां चीफ आफ आर्मी स्टाफ का पद दिया गया। उनके ही प्रयासों से दिसम्बर 1971 में पाकिस्तान की करारी हार हुई और बांग्लादेश का निर्माण हुआ।

    सैम मानेकशॉ को उनके देशप्रेम और कार्यों को देखते हुए पद्मविभूषण और फील्ड मार्शल से सम्मानित किया गया। लगभग चार दशकों तक देश की सेवा करने के बाद सैम 15 जनवरी 1973 को फील्ड मार्शल के पद से रिटायर हुए

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