IIT BHU राजमार्ग इंजीनियरिंग में शुरू करेगा पीएचडी कोर्स, एमओयू पर हुए हस्ताक्षर
पीठ आइआइटी मंत्रालय के लिए एक रणनीतिक सलाहकार के रूप में कार्य करेगा और राजमार्ग इंजीनियरिंग से संबंधित किसी भी क्षेत्र में मंत्रालय को तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान करेगा जिसमें शोध और विकास शिक्षण व प्रशिक्षण आदि शामिल हैं।
वाराणसी, जेएनएन। आइआइटी-बीएचयू दस वर्षों के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए एक प्रोफेशनल चेयर (पीठ) का गठन करेगा। पीठ आइआइटी मंत्रालय के लिए एक रणनीतिक सलाहकार के रूप में कार्य करेगा और राजमार्ग इंजीनियरिंग से संबंधित किसी भी क्षेत्र में मंत्रालय को तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान करेगा, जिसमें शोध और विकास, शिक्षण व प्रशिक्षण आदि शामिल हैं। खास बात यह है कि इसके तहत अब आइआइटी के शोधार्थी, अधिकारी, वैज्ञानिक और शिक्षाविद एक साथ सड़क सुरक्षा, पर्यावरण और सामाजिक प्रभावों पर अध्ययन करेंगे। भारत के परिवहन व्यवस्था को विश्वस्तरीय स्वरुप देने के लिए नई दिल्ली में बुधवार को आइआइटी-बीएचयू और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के बीच एक समझौता हुआ है। राज्य मंत्री जनरल डा. वी के सिंह की अध्यक्षता में आइआइटी के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन और महानिदेशक सड़क विकास व विशेष सचिव इंद्रेश कुमार पांडेय ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए।
रिसर्च व डेवलपमेंट से राजमार्गों का विकास
इस उपलब्धि पर आइआइटी के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि राजमार्गों के विकास में रिसर्च व डेवलपमेंट और एजुकेशन व ट्रेनिंग कार्यों को महत्व देगा। वहीं मंत्रालय द्वारा चुने गए विषयों पर अनुसंधान कार्यक्रम के लिए पीएचडी कोर्स भी चलाएगा। इसके अलावा संस्थान तमाम सड़क मानकों, दिशानिर्देशों, प्रशिक्षण आदि के माध्यम से राजमार्ग विकास के लिए योजना व डिजाइन तैयार कराने के साथ ही निर्माण, संचालन और रखरखाव में प्रौद्योगिकी उन्नयन करेगा। वहीं मंत्रालय को सुरक्षा पर अपनाए जाने वाले मानकों के विकास व संशोधन के इनपुट प्रदान करेगा। नई प्रौद्योगिकी और मंत्रालय की ओर से आइआरसी (इंडियन रोड कांग्रेस) के कोड और मैनुअल तैयार करने में भी मदद करेगा।
राजमार्ग इंजीनियरिंग विषय में होंगे अधिकारी और स्कालर एक साथ
देश की सड़कों को सुगम यातायात बनाने के लिए आइआइटी में राजमार्ग इंजीनियरिंग विषय पर कार्य होगा, जिसमें मंत्रालय के नामित अधिकारी और उनके साथ रहेंगे आइआइटी के 8-10 रिसर्च स्कालर्स। मंत्रालय के अधिकारी संस्थान के मानदंडों का पालन करते हुए पीजी पाठ्यक्रमों में भाग लेंगे और वे अपना शोध प्रबंध भी मंत्रालय को प्रस्तुत कर सकेंगे। वहीं एमटेक और पीएचडी कार्यक्रमों से आए निष्कर्षों का उपयोग स्टेट आफ आर्ट रिपोर्ट तैयार करने, आइआरसी दिशानिर्देशों के संशोधन व विकास और अभ्यास के कोड, रिसर्च डाइजेस्ट की तैयारी के लिए किया जाएगा।