Nag Panchami in Kashi : घर में कभी भी निकल सकता है सांप, इस नंबर को फोन में जरूर कर लें सेव
Snake Catcher in Varanasi अमूमन घरों में सांप निकल आए तो लोग लाठी डंडों से हमला करके उसे मार डालते हैं। मगर सांप मित्र भी हैं वह चूहों की आबादी नियंत्रित करते हैं। ऐसे में स्नेक कैचर रतन गुप्ता वाराणसी में सांपों को पकड़कर सुरक्षित जगह ले जाकर छोड़ते हैं।

वाराणसी (शैलेन्द्र सिंह 'पिंटू')। बारिश का मौसम शुरू होते ही सांपों के निकलने का सिलसिला भी शुरू हो जाता हैं। सांप की बात सुनते ही आमजन के मन व दिमाग में भय व्याप्त हो घिग्घी भी बंध जाती है। वहीं सनातन धर्म में सांपो को भगवान शिव का रूप मानकर पूजा की जाती है।
काशी में नागपंचमी पर घर-घर में दूध-लावा चढ़ाया जाता है। सांपों से डरते हम-आप हैं, वहीं एक ऐसा भी युवा शख्स है जो विषधर सांपों का दोस्त है। फुंफकार मारते फन काढ़े सांपों को देखकर जहां आमजन भागते हैं, वही इस शख्स को देख विषधर खुद सुरक्षित जगह तलाशने लगते हैं। सांपों को वह बड़े ही आसानी से हाथों से पकड़ लेते हैं, इतना ही नहीं करीब पांच वर्ष पूर्व लहरतारा में बालकनी के खिड़की पर चढ़े अजगर को भी हाथों से पकड़कर वह सभी को चौका चुके हैं।
फुंफकार मारने वाले सांपों को हंसते हुए पकड़ उससे खेलने लगते हैं। युवक का कारनामा देख ग्रामीणों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मिर्जामुराद कस्बा निवासी रतन गुप्ता (41) की बाजार में ही हाइवे किनारे गैस-चूल्हा, कुकर बनाने के साथ घड़ी-चश्मा व झंडा बेचने की दुकान है। युवा दुकानदार पिछले 21 वर्षों से बगैर किसी तंत्र-मंत्र विद्या के शौकिया हाथों से सांपों को पकड़ने का काम करते हैं।
घरों-दुकानों में सांपों के निकलते ही दूरदराज के लोगों की जुबान पर तुरंत ही रतन का नाम आता हैं। 'रतन कोबरा' के नाम से प्रसिद्ध युवा को मोबाइल पर सूचना मिलते ही यह अपनी बाइक से मौके पर पहुंच कर खतरनाक फन काढ़े आक्रोशित सांपों को स्टील की एक छड़ी के सहारे हाथों से बड़े ही आसानी से पकड़ लेते हैं। सांप को दुकान पर लाकर उससे खेलते हैं, फिर तमाशा देखने वालों की भीड़ लग जाती है।
घर में निकले सांप को पकड़ लिए जाने पर गृहस्वामी खुश होकर उनकी जेब में जरूर अच्छी 'बक्शीश' भर देते हैं। सांपों को पकड़ कर डिब्बे में बंद कर दुकान पर उसे रख देते हैं, फिर 20-25 सांप इकठ्ठा हो जाने पर उसे बोरी में भरकर मीरजापुर-सोनभद्र के सुनसान पहाड़ी-जंगल इलाकों में ले जाकर छोड़ देते हैं। सांपों के अनमोल रतन अब तक करीब 25 हजार सांपों को पकड़ चुके हैं। सांपों को पकड़ते-पकड़ते उन्होंने यह कला सीखकर अब उसे अपना शौक बना लिया है।
ग्रामीणों की सुविधा के लिए हाइवे पर गोपीगंज से रामनगर के बीच कई जगह सांप पकड़वाने के लिए सम्पर्क करें 'जनसेवा केंद्र' की वालराइटिंग करा अपना मोबाइल नम्बर 8090886550 भी लिखवा दिया है। रतन गुप्ता कहते हैं कि बचपन में जब सांपो को लाठी-डंडा से मारते देखा तो मन में सांपों को बचाने का भाव जागा। पर्यावरण संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रकृति की देन इन सांपों की जिंदगी बचाने हेतु उन्हें पकड़ कर अपना दोस्त बनाने का मन बनाया और देखते-देखते अब उनसे गहरी दोस्ती कर ली है।
रतन का मानना है कि हर सांप में जहर नहीं होता। दुकानदार के पिता स्व. श्यामलाल गुप्ता सपेरों के संग 'महुअर' खेलने की विद्या जानते थे और सपेरों के आने पर मिर्जामुराद कस्बा में खूब 'महुअर' खेलते थे। ग्रामीणों की भारी भीड़ जुटती थी। रतन का 13 वर्षीय पुत्र जय कुमार भी सांपों से डरने के बजाय दुकान पर रखे सांपो को अपने हाथों से पकड़ना सीख चुका है। वह बताते हैं कि पीढ़ियों को यह कला सिखानी ही पड़ेगी क्योंकि भविष्य में भी सापों से आम लोगों का सामना तो होना ही है।
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