वाराणसी के कबीरचौरा में हृदय योजना ध्वस्त, निगम की उदासीनता से कला तीर्थ पर दाग
वाराणसी के कबीरचौरा में हृदय योजना विफल हो गई है। नगर निगम की लापरवाही के कारण कला और संस्कृति का केंद्र अपनी पहचान खो रहा है। योजना का उद्देश्य क्षेत्र का विकास करना था, लेकिन निर्माण कार्य की गुणवत्ता खराब होने के कारण यह सफल नहीं हो सका। स्थानीय निवासियों में निराशा है क्योंकि उन्हें योजना से बेहतर परिणाम की उम्मीद थी।

यहां की कई बुनियादी संरचनाएं जर्जर होकर गिरने की कगार पर हैं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। शहर की सांस्कृतिक धरोहरों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से शुरू की गई हृदय (एचआरआइडीएवाइ) योजना कबीरचौरा में पूरी तरह फेल साबित हो रही है। कला और संगीत की परंपरा का केंद्र माने जाने वाले इस इलाके में नगर निगम की उदासीनता ने हालात इतने खराब कर दिए हैं कि यहां की कई बुनियादी संरचनाएं जर्जर होकर गिरने की कगार पर हैं।
सबसे विवादित मामला है विभूतियों का गेट। यह गेट स्थानीय कलाकारों और संत-परंपरा से जुड़े महापुरुषों की स्मृति में बनाया गया था, लेकिन इसकी निर्माण गुणवत्ता इतनी कमजोर निकली कि यह ध्वस्त हो गया। स्थानीय कलाकार इसे सांस्कृतिक अपमान बता रहे हैं। उनका कहना है कि यह गेट कबीर चौरा की पहचान था, जिसका गिरना हेरिटेज विकास कार्यों की असलियत उजागर करता है।
चेतगंज वार्ड में हृदय योजना पूरी तरह ध्वस्त : चेतगंज वार्ड में हृदय योजना के अंतर्गत निर्मित पेयजल ढांचा पूरी तरह चरमरा चुका है। नई लाइनों और कनेक्शन के दावे हुए थे, पर आज कई गलियां खुदी पड़ी हैं, कई पाइपें टूटी हैं और पानी आपूर्ति लगभग ठप है। कबीरचौरा में गुदई महाराज के घर के आसपास के लोगों ने विभागीय संवेदनहीनता के प्रति गहरा आक्रोश व्यक्त किया। स्थानीय लोग बताते हैं कि शिकायत के बाद भी नगर निगम के अधिकारी मौके पर नहीं आते। चेतगंज वार्ड और धूपचंडी वार्ड की सीमा पर स्थित सड़क किनारे हेरिटेज जोन के रूप में चिह्नित टिकट घर की स्थिति भी उपहास का कारण है। यह पर्यटकों को जानकारी देने के लिए बनाया गया था, लेकिन अब इसमें सीमेंट की बोरी रखकर इसे गोदाम बना दिया गया है।
विभूतियों के दोनों मुख्य द्वारों की स्थिति जर्जर : कबीर दर्शन और लोककला को दर्शाने वाली दीवारों की पेंटिंग भी बुरी तरह उखड़ चुकी हैं। कई जगहों पर रंग उड़ चुका है, दरारें साफ दिख रही हैं और धूल की परतें बताती हैं कि रखरखाव पर सालों से ध्यान नहीं दिया गया। कबीर मठ की दीवारों पर बनी पेंटिंग भी अपनी चमक और आकार खो चुकी हैं। बिजली व्यवस्था भी खतरे में डालने वाली है। जगह-जगह लटकते तार हादसे को दावत दे रहे हैं। खुले जंक्शन बाक्स, टूटी तार-इन्सुलेशन और अंधेरे में डूबी गलियां प्रशासन की नाकामी का प्रतीक बन गई हैं। कई क्षेत्रों में महीनों से स्ट्रीट लाइटें बंद हैं। निवासियों की शिकायतें धूल फांक रही हैं।
कबीरचौरा की दशा शहर की सांस्कृतिक आत्मा पर चोट : कला प्रेमियों और निवासियों का आरोप है कि नगर निगम और संबंधित एजेंसियों ने हेरिटेज विकास को गंभीरता से नहीं लिया। करोड़ों रुपये की योजना बनी थीं, बोर्ड लगाए गए, पर काम की गुणवत्ता और निगरानी दोनों ही नदारद रही। स्थानीय वरिष्ठ कलाकारों के अनुसार, कबीर चौरा की यह दशा सिर्फ एक क्षेत्र की परेशानी नहीं, बल्कि शहर की सांस्कृतिक आत्मा पर चोट है। वे कहते हैं कि यदि तत्काल मरम्मत, पुनर्स्थापन और निरीक्षण नहीं हुआ, तो आने वाले समय में इस क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व क्षीण हो जाएगा। लोग लगातार धरातल पर सुधार और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।
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हृदय योजना से होने वाले कार्य का परिणाम क्या है यह तो वर्तमान में दिख रहा है लेकिन इसकी शुरुआत का उद्देश्य क्या था यह जानना जरूरी है। नेम प्लेट जिस प्रकार से धूल फांक रहे हैं उसी प्रकार से कार्य की स्थिति दीन हीन दशा में है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी हृदय (हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड अगमेंटेशन) योजना के तहत कबीरचौरा-पिपलानी कटरा धरोहर यात्रा पथ के संरक्षण और संवर्धन कार्य का औपचारिक शुभारंभ 23 दिसंबर 2016 को किया गया।
उद्घाटन महापौर राम गोपाल मोहले द्वारा किया गया, जबकि इस अवसर पर शहरी दक्षिणी क्षेत्र के विधायक श्यामदेव राय चौधरी भी मौजूद रहे। शहरी विकास मंत्रालय द्वारा संचालित इस परियोजना के लिए 2.51 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। कार्य 15 दिसंबर 2016 से शुरू हुआ, जिसे ठेकेदार ऋषि कुमार जायसवाल (मे. बज्रकाया कंस्ट्रक्शन) को सौंपा गया। परियोजना की तकनीकी निगरानी नगर निगम के मुख्य अभियंता कैलाश सिंह कर रहे थे।
योजना के अंतर्गत कबीरचौरा-पिपलानी कटरा क्षेत्र को हेरिटेज जोन के रूप में विकसित करना, मार्ग का सौंदर्यीकरण, नेम प्लेट और साइनेंज लगाना, कूड़ेदान व्यवस्था मजबूत करना, शुद्ध पेयजल एटीएम, प्रकाश व्यवस्था तथा पार्किंग जैसी सुविधाएं स्थापित करना प्रस्तावित था। योजना का उद्देश्य क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करते हुए इसे पर्यटक-अनुकूल स्वरूप देना था।
विभूतियों का गेट ध्वस्त होना हमारे सांस्कृतिक गौरव पर गहरी चोट है, यह हेरिटेज विकास की पोल खोलता है। नगर निगम के लोग आते हैं लेकिन सुनवाई नहीं करते हैं। - प्रेमलता मिश्रा, कबीरचौरा।

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