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    World Heart Day : बीएचयू में दिल के छेद का होता है सफलतापूर्वक इलाज, आनलाइन भी ले सकते हैं सलाह

    हृदय संबंधी समस्याओं से बचने के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा करने के लिए प्रत्येक वर्ष 29 सितंबर को “विश्व हृदय दिवस” मनाया जाता है। इसे मनाने की शुरूआत सन 2000 में की गई थी। इस दिन का उद्देश्य लोगों को हृदयरोग के बारे में जागरूक करना है।

    By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Wed, 29 Sep 2021 05:33 PM (IST)
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    इस वर्ष वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के द्वारा “यूज हार्ट टू कनेक्ट” थीम निर्धारित की गयी है।

    वाराणसी, जागरण संवाददाता। पूरे विश्व में हृदय के प्रति जागरुकता पैदा करने और हृदय संबंधी समस्याओं से बचने के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा करने के लिए प्रत्येक वर्ष 29 सितंबर को “विश्व हृदय दिवस” मनाया जाता है। इसे मनाने की शुरूआत सन 2000 में की गई थी। इस दिन का उद्देश्य लोगों को हृदयरोग के बारे में जागरूक करना है। इस वर्ष वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के द्वारा “यूज हार्ट टू कनेक्ट” थीम निर्धारित की गयी है। गलत खानपान, हर वक्त तनाव में रहना और समय पर व्यायाम न करने की वजह से ही यह बीमारी होती है। यह कहना है सर सुंदरलाल चिकित्सालय के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर धर्मेंद्र जैन का।

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    बदलती लाइफस्टाइल व अस्वस्थ खानपान से हृदय रोग का खतरा : प्रो. धर्मेंद्र ने बताया कि हृदय रोग के मरीजों की संख्या देशभर में लगातार बढ़ती जा रही है। कोरोना के समय में दिल की बीमारी लोगों को ज्यादा नुकसान पंहुचा रही थी, जिसकी वजह से कोविड-19 के डर से दिल के मरीज घर में ही रहने के लिए मजबूर थे। वहीं मरीज अपने रेगुलर चेकअप के लिए भी नहीं आ पा रहे थे। 30 वर्ष से ज्यादा उम्र के युवाओं में भी इनएक्टिव लाइफस्टाइल और खाने की खराब आदतों के कारण दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ रहा है। पिछले 5 साल में दिल की समस्याओं से पीड़ित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इनमें से अधिकांश 30-50 साल आयु वर्ग के पुरुष और महिलाएं हैं। लोगों के पास अपने शरीर और मन को स्वस्थ और शांत रखने के लिए समय ही नहीं है, जिस वजह से लोगों में कई तरह की बीमारियां देखने को मिल रही हैं, हालांकि अब जन-जीवन लगभग सामान्य हो गया है। सभी को उच्च रक्तचाप को गंभीरता से लेना चाहिये। ऐसे में हृदय रोग से ग्रसित मरीज e-sanjeewaniopd.in पर लॉगिन करके डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। इसके द्वारा मरीज का फालोअप भी लिया जाता है। इसके अलावा मरीज हृदय रोग विभाग की ओपीडी में भी दिखा सकते हैं। चिकित्सालय में मरीजों को कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुये देखा जाता है।

    इस समय ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 100 से 150 मरीज आ रहे हैं। प्रतिदिन 3 से 4 एंजिओप्लास्टी की जाती है तथा 1 से 2 पेसमेकर लगाए जाते हैं। इसका अलावा जिन्हें दिल में छेद/दिल की धड़कन का इलाज होता है, उसका भी यहाँ इलाज सफलतापूर्वक किया जाता है। इसमें एक बटन के आकार की डिवाइस होती है उसे लगाया जाता है। इसके अलावा एंजिओग्राफी और एंजिओप्लास्टी भी की जाती है जिन मरीजों की धड़कन बढ़ती है उनका एक एलेक्ट्रो फिजिओलोजी स्टडी की जांच करके खराब धड़कन का कारण पता किया जाता है और पता लगने पर उसको रेडियो फ्रिक्वेन्सी ओब्लीगेसन विधि द्वारा सिकाई करके इलाज किया जाता है।

    लक्षण

    -प्रो. जैन ने बताया कि कुछ विशेष परिस्थियों को छोड़ कर हृदय रोग के लक्षणों में सीने में दर्द, जलन, जल्दी साँस फूलना, आँखों के सामने अंधेरा छाना इत्यादि है। उन्होंने बताया यह बीमारी दबे पैर जरुर आती है लेकिन अटैक अचानक हो जाता है। इसलिए इसके लक्षण मिलते ही स्थानीय बीएचयू सर सुंदरलाल चिकित्सालय, जिला अस्पताल, सीएचसी/पीएचसी या कार्डियोलाजिस्ट से तुरन्त संपर्क करना चाहिये।

    व्यायाम व स्वस्थ खानपान बेहद जरूरी

    - प्रो. जैन ने बताया कि लोगों को हृदय की बीमारियो से बचने के लिए कम से कम आधे घंटे की एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। थोड़ा बाहर घूमना चाहिए, लेकिन कोविड से बचने के उपाय के साथ। वहीं नमक, चीनी और ट्रांस फैट वाली चीजें खाने से बचना चाहिये। आपका नास्ता और भोजन, ताजे फलों और सब्जियों से भरपूर होना चाहिये तथा घर का बना ताजा एवं संतुलित भोजना करना चाहिए। बाज़ार के पैकेट बंद खाने को बिल्कुल नहीं खाना चाहिये। हृदय रोग की गंभीरता को समझते हुए आप सभी को उन आहारों को चुनना चाहिए, जो आपके दिल के साथ-साथ पूरे शरीर के लिए पौष्टिक हो। फास्ट फूड, जंक फूड, सिगरेट और शराब से दूरी बनाकर रखना चाहिए, इससे दिल की बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है।

    उन्होने बताया कि ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिये दिनचर्या में कैसे बदलाब लाया जाये ताकि ह्रदय की बीमारी से बचा जा सके। इसके लिये सबसे पहले समाज के हर व्यक्ति को जागरूक होना होगा। आदतों में रात में जल्दी सोने, सुबह जल्दी उठने उम्र के हिसाब से सुबह उठ कर योगा करना, टहलना, खेलना, व्यायाम करना आदि को शामिल करना चाहिए। अगर आप हृदयरोग से पीड़ित हैं, तो यह ध्यान रखना चाहिये कि आपके पास हृदयरोग से जुड़ी दवाइयां उपलब्ध हों। जरूरत हो तो अतिरिक्त दवा मंगाकर रखें। आपको यह ध्यान देने की जरूरत है कि आप दवा डॉक्टर की सलाह से लें और बिना उनकी सलाह के दवा को बंद बिल्कुल न करें।