ज्ञानवापी मस्जिद मामले में किरन सिंह और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की याचिका पर नहीं हुई सुनवाई
ज्ञानवापी मामले में अब दो अलग अलग मामलों की सुनवाई हो रही है। अदालत में जहां किरन सिंह ने संपूर्ण परिसर को हिंदुओं को सौंपने की मांग की है वहीं दूसरी ओर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मिले शिवलिंग के पूजन और भोग आरती की अदालत से मांग की है।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। Gyanvapi Masijd case Varanasi 6 october 2022 : ज्ञानवापी मस्जिद मामले में गुरुवार को दो अलग अलग मामलों की अदालत में सुनवाई होनी थी तो नहीं हुई। दोपहर दो बजे के बाद दोनों मामलों में सुनवाई होनी थी लेकिन अदालत बंद होने से सुनवाई हीं हो सकी। पहले मामले में जहां किरन सिंह के पूरा परिसर हिंदुओं को सौंपने के मामले में जहां सुनवाई होनी थी वहीं शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिवलिंग के पूजन और भोग को लेकर भी अदालत को सुनवाई करनी थी।
किरन सिंह के प्रार्थना पत्र पर मामले में आज दोपहर बाद सुनवाई होनी थी। विश्व वैदिक सनातन संघ की अतंरराष्ट्रीय महामंत्री किरन सिंह की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई आज गुरुवार की दोपहर बाद अदालत में होनी थी जो टल गई। इस बाबत सिविल जज फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में दाखिल प्रार्थना पत्र में ज्ञानवापी परिसर को मंदिर का हिस्सा बताते हुए हिंदुओं को सौंपने और वहां मिले शिवलिंग के दर्शन- पूजन की मांग की गई है।
वहीं दूसरी ओर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के प्रार्थना पत्र पर आज दोपहर बाद सुनवाई होनी थी।ज्ञानवापी मस्जिद परिसर मामले में मिले शिवलिंग के पूजा -पाठ राग -भोग आरती करने को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर आज गुरुवार की दोपहर बाद सुनवाई होनी थी जो अदालत बंद होने से टल गई। सिविल जज सीनियर डिविजन कुमुद लता त्रिपाठी की अदालत में सुनवाई के दौरान प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद ने आपत्ति दाखिल करने के लिए समय की मांग की है।
दरअसल ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के दौरान वजू खाने से शिवलिंग बरामद किया गया था। जिसे मुस्लिम पक्ष ने फव्वारा बताया तो अदालत ने शिवलिंग मानते हुए उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की थी। उसके बाद से ही वजू खाने में शिवलिंग को सील कर दिया गया था। जिसके पूजन और भोग के लिए मांग की जा रही थी। वहीं पूरे परिसर में हिंदू मंदिर के साक्ष्य मिलने के बाद से ही परिसर को हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई है।