दो माह बीतने के बाद भी मंडलीय कार्यालय में अब तक एडी और जेडी की नियुक्ति नहीं
वाराणसी मंडल में स्वास्थ्य विभाग के उच्च पदों पर नियुक्ति न होने से कामकाज प्रभावित हो रहा है। अपर निदेशक और संयुक्त निदेशक के पद दो महीने से खाली हैं, जिससे प्रशासनिक कार्यों में देरी हो रही है। जालौन के सीएमओ को अपर निदेशक बनाया गया, लेकिन उन्होंने अभी तक पदभार नहीं संभाला है। अन्य अस्पतालों में भी महत्वपूर्ण पद खाली हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ रहा है।

अस्पताल में प्रमुख अधिकारियों के पद रिक्त हैं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। मंडल में स्वास्थ्य विभाग के महत्वपूर्ण पद रिक्त होन से स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने की कगार पर हैं। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कार्यालय में अपर निदेशक (एडी) और संयुक्त निदेशक (जेडी) के पद दो माह से रिक्त हैं, जिसके चलते प्रशासनिक कार्यों में लेटलतीफी की स्थिति बनी हुई है।
हालांकि जिला महिला अस्पताल कबीरचौर की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. नीना वर्मा को कार्यभार अपर निदेशक का दिया गया है, लेकिन एक साथ दो बढ़े कार्यालय को देखना मुश्किल हो गया है। यही कारण है कि जिलों में निरीक्षण-परीक्षण बंद हो गए हैं।
जालौन के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. नरेंद्र देव शर्मा को चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अपर निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया है, लेकिन उन्होंने अभी तक कार्यभार ग्रहण नहीं किया है।
विशेष सचिव आर्यका अखौरी ने आठ अगस्त को सात डाक्टरों को पदोन्नत कर फेरबदल किया गया था, लेकिन डा. शर्मा के अभी न आने से स्वास्थ्य सुविधाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा है, जबकि सभी को निर्देशित किया गया था कि स्वत: कार्यमुक्त होकर अपनी नवीन तैनाती के स्थान पर कार्यभार ग्रहण कर अपने प्रमाणक शासन को उपलब्ध कराएं, लेकिन 10 अक्टूबर तक डा. शर्मा ने ज्वाइन नहीं किया है।
वहीं, मंडलीय कार्यालय में एक मात्र संयुक्त निदेशक डा. मंगला सिंह को कार्यभार अपर निदेशक के पद पर भी दिया गया था। 30 अगस्त को विदाई समारोह के साथ ही सेवा निवृत्त हो चुके हैं। यही कारण है कि अब मंडलीय कार्यालय एडी और जेडी विहीन हो चुका है।
पीडीडीयू और मानसिक अस्पताल में भी सीएमएस और डायरेक्टर का पद खाली
पंडित दीनदयाल उपाध्याय (पीडीडीयू) अस्पताल में भी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) का पद रिक्त है, जिसके कारण प्रभारी नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. बी राम को जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्थायी नियुक्ति के अभाव में अस्पताल प्रबंधन और मरीजों को मिलने वाली सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। मंडल स्तर पर स्वास्थ्य योजनाओं का क्रियान्वयन, संचारी रोग नियंत्रण और अस्पतालों में संसाधनों की उपलब्धता जैसे कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है। इसी तरह मानसिक चिकित्सालय में भी डायरेक्टर का पद रिक्त है। हालांकि डा. सीपी मल्ल कार्यभार देख रहे हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।