Gyanvapi Survey: चार सप्ताह बाद ज्ञानवापी के राज से उठेगा पर्दा! तहखानों की रिपोर्ट पर सबकी नजर
Gyanvapi Survey एएसआइ की ओर से बताया गया कि 21 जुलाई को दिए गए जिला जज की अदालत के आदेश के अनुसार एएसआइ वैज्ञानिक विधि से जांच-सर्वे कर रही है। इसकी रिपोर्ट दो सितंबर को अदालत को सौंपनी थी। सर्वे के दौरान कई जगहों पर कचरा मलबा मिट्टी के साथ ही टूटी इमारत का मलबा जैसे ईंट-पत्थर के टुकड़े पत्थर की पटरी आदि पड़े मिले।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। ज्ञानवापी परिसर में सर्वे पूरा करने के लिए वाराणसी की जिला अदालत ने एएसआइ को चार सप्ताह का समय दिया है। साथ ही छह अक्टूबर तक सर्वे पूरा कर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
शुक्रवार को एएसआइ की ओर से आठ सप्ताह का और समय देने के प्रार्थना पत्र पर जिला अदालत में सुनवाई हुई। ज्ञानवापी परिसर का सर्वे पूरा करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने आठ सप्ताह का और वक्त मांगते हुए प्रार्थना पत्र दो सितंबर को अदालत में दिया था।
एएसआइ की ओर से बताया गया कि 21 जुलाई को दिए गए जिला जज की अदालत के आदेश के अनुसार एएसआइ वैज्ञानिक विधि से जांच-सर्वे कर रही है। इसकी रिपोर्ट दो सितंबर को अदालत को सौंपनी थी। सर्वे के दौरान कई जगहों पर कचरा, मलबा, मिट्टी के साथ ही टूटी इमारत का मलबा, जैसे ईंट-पत्थर के टुकड़े, पत्थर की पटरी आदि पड़े मिले।
यह सब परिसर में फर्श पर और तहखानों में पड़े हैं। इसके साथ ही इमारत के चारों तरफ मलबा और मिट्टी पड़े हैं जो इमारत की मूल संरचना को ढंके हुए है। इनकी सफाई का काम चल रहा है ताकि इमारत की वैज्ञानिक विधि से जांच की जा सके, जैसा अदालत ने आदेश दिया था।
इमारत व सभी तहखानों की जांच के लिए मिट्टी, मलबे को हटाना जरूरी है वह भी इमारत को नुकसान पहुंचाए बिना। मलबे को सावधानी से हटाया जा रहा है जिसकी प्रक्रिया धीमी है। तहखानों की जांच के लिए मलबों को हटाना जरूरी है। इसलिए सर्वे पूरा करने और रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आठ सप्ताह का समय और दिया जाए।
मस्जिद पक्ष ने किया विरोध
सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया मसाजिद (मस्जिद पक्ष) ने एएसआइ के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने एएसआइ को ज्ञानवापी में किसी तरह की खोदाई किये बगैर सर्वे का आदेश दिया है। जबकि एएसआइ की ओर से अदालत के आदेश के विरुद्ध सर्वे किया जा रहा है। ज्ञानवापी में मौजूद इमारत के तहखाने व अन्य जगहों पर मिट्टी-मलबे की खोदाई कर सर्वे किया जा रहा है।
मस्जिद पक्ष की आपत्ति पर एएसआइ ने दिया जवाब
मस्जिद पक्ष की आपत्ति पर एएसआइ ने जवाब दिया। इसमें बताया कि परिसर में कचरा, गीली मिट्टी के साथ ही ईंट-पत्थर के टुकड़े, पत्थर की पटरी आदि पड़े हैं। यह सब सर्वे में बाधा बन रहे हैं। जिला प्रशासन के माध्यम से इसकी जानकारी पक्षकारों को दी गई थी।
इसकी सफाई के लिए सभी तैयार थे, इसलिए सफाई शुरू कराई गई। उसकी आकृति के साथ निर्माण कब और किन चरणों में हुआ यह वैज्ञानिक विधि से जांचने के लिए तहखाने में पूरा मलबा हटाना जरूरी है। मलबे को बहुत की सावधानी से हाथों से हटाया जा रहा है।
इसके लिए छोटे-छोटे घरेलू व बगीचे के उपकरणों जैसे ब्रश, कांटा, पैन आदि का इस्तेमाल हो रहा है। मंदिर पक्ष ने कहा कि एएसआइ सर्वे प्रभावित करने के लिए मस्जिद पक्ष की ओर से गलत तथ्य अदालत के सामने रखे जा रहे हैं। सर्वे के लिए मलबा हटाया जाना जरूरी है। तहखाने में बहुत से साक्ष्य मिलने की संभावना है।

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