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Gyanvapi Mosque Case : मुख्य बिंदुओं को करेंगे रिपोर्ट में शामिल, बाकी वीडियो और फोटो से होगा स्पष्ट

gyanvapi masjid news ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में 13 घंटे तक चली एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही की रिपोर्ट तैयार करना आसान नहीं है। इसके लिए 15 सौ फोटोग्राफ और 13 घंटे की वीडियो फुटेज की बारीकी से जांच करनी है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 09:27 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 09:27 PM (IST)
Gyanvapi Mosque Case : मुख्य बिंदुओं को करेंगे रिपोर्ट में शामिल, बाकी वीडियो और फोटो से होगा स्पष्ट
15 सौ फोटोग्राफ और 13 घंटे की वीडियो फुटेज की बारीकी से जांच करनी है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में 13 घंटे तक चली एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही की रिपोर्ट तैयार करना आसान नहीं है। इसके लिए 15 सौ फोटोग्राफ और 13 घंटे की वीडियो फुटेज की बारीकी से जांच करनी है। इसे देखते हुए एडवोकेट कमिश्नर ने तय किया है कि रिपोर्ट में मुख्य बिंदुओं को ही शामिल किया जाएगा। अन्य स्थित को स्पष्ट करने के लिए वीडियो व फोटोग्राफ का सहारा लिया जाएगा। रिपोर्ट के साथ परिसर का मानचित्र भी दाखिल करना है। इसे वाराणसी विकास प्राधिकरण के ड्राफ्टमैन तैयार कर रहे हैं।

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एडवोकेट कमिश्नर की मानें तो पूरा परिसर लगभग 18 बिस्वा का है। इसके तीन हिस्से तहखाना, नमाज स्थल और गुंबद का चार दिनों के 13 घंटों में प्रमुख रूप से सर्वे किया गया। विवाद को हल करने में साक्ष्य के तौर पर हर छोटी से छोटी चीजों कैमरों में कैद किया गया। इस तरह लगभग 15 सौ फोटोग्राफ व 13 घंटे की वीडियो फुटेज तैयार हुई है। ऐसी कई चीजें हैं जिनकी पुनरावृत्ति होती है। इन सबका उल्लेख नहीं किया जा सकता है। इसलिए रिपोर्ट में एक साक्ष्य का एक बार ही उल्लेख होगा। इस तरह रिपोर्ट में मुख्य बिंदुओं को ही शामिल किया जाएगा। विस्तृत जानकारी के लिए वीडियो और फोटोग्राफ तो है ही। रिपोर्ट कितनी बड़ी होगी यह अभी कहना मुश्किल है लेकिन कोशिश होगी कि उसमें ऐसा कोई बिंदू ना छूटे जो महत्वपूर्ण हो। हर दिन की रिपोर्ट कोषागार में जमा होती रही हैं।

14 से 16 घंटे तक करते रहे काम

विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह वह सहायक कमिश्नर एडवोकेट अजय प्रताप सिंह बताते हैं कि कार्यवाही काफी कठिन थी। भीषण गर्मी का सामना किया गया। कपड़ों से लेकर जूते तक पसीने से भींग जा रहे थे। इसके बावजूद हर महत्वपूर्ण साक्ष्य को नोट करते जा रहे थे। निधार्रित समय तक वीडियो व फोटोग्राफी कराने के बाद जब घर लौटते तो हर कि रिपोर्ट तैयार करते रहे। इसके लिए घर पर 10 से 12 घंटे तक लगातार बैठकर नोट बनाते रहे। इस तरह 14 से 16 घंटे तक काम करना पड़ा। इस दौरान किसी और बातों की तरफ ध्यान नहीं रहा। बस यही लगता था कि एक ऐसी रिपोर्ट तैयार की जाए जो निष्पक्ष हो।

चिंतित है परिवार

विशाल सिंह और अजय सिंह की कहना है कि इस पूरे प्रकरण पर देश की निगाह है। हर कोई सच्चाई जानना चाहता है लेकिन हमारा परिवार चिंतित है। उन्हें हमारी सुरक्षा की चिंता है। पुलिस की ओर से सुरक्षा मुहैया करायी गयी है लेकिन सार्वजनिक जीवन जीने वालों के लिए हर वक्त सुरक्षा घेरे में रहना संभव नहीं हो पाता है। जब तक घर नहीं पहुंच जाते हैं परिवार के लोग परेशान होते हैं।


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