Gyanvapi Case: ज्ञानवापी में गुंबद के नीचे मिले मंदिर जैसे शिखर, इन पर बनी हैं फूल-पत्ती और कमल की आकृतियां
Gyanvapi Case Update ज्ञानवापी में सर्वे कर रही एएसआइ (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की टीम ने चौथे दिन रविवार को सबसे पहले तहखाने में स्थित व्यास जी के कमरे से मलबा हटाने का काम शुरू कराया और एग्जास्ट लगवाए। कमरे पैमाइश की और दीवारों की थ्रीडी फोटोग्राफी स्कैनिंग करवाई। कमरे से मंदिर जैसे मिलते-जुलते अवशेषों के मिलने का सिलसिला जारी है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : ज्ञानवापी में सर्वे कर रही एएसआइ (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की टीम ने चौथे दिन रविवार को सबसे पहले तहखाने में स्थित व्यास जी के कमरे से मलबा हटाने का काम शुरू कराया और एग्जास्ट लगवाए। कमरे पैमाइश की और दीवारों की थ्रीडी फोटोग्राफी, स्कैनिंग करवाई।
कमरे से मंदिर जैसे मिलते-जुलते अवशेषों के मिलने का सिलसिला जारी है। दीवारों पर बनी आकृतियों की बनावट, उनके आकार आदि के नोट्स बनाए। कानपुर आइआइटी के दो जीपीआर (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार) विशेषज्ञ भी सर्वे टीम के साथ थे।
बताया जा रहा है कि एक-दो दिन में जीपीआर सर्वे शुरू हो सकता है। एएसआइ के विशेषज्ञों ने तीनों गुंबदों की जांच भी की। उन्हें गुंबदों के नीचे मंदिर के शिखर जैसे ढांचे मिले, जिन पर फूल, पत्तियां, कमल के फूल आदि की स्पष्ट आकृतियां हैं। पश्चिमी दीवार और दक्षिण दिशा में बाहरी हिस्से की जमीन की जांच भी की।
चार हिस्सों में बंटकर टीम कर रही जांच
सर्वे टीम ने सुबह आठ बजे ज्ञानवापी परिसर में प्रवेश किया। चार टीमों में बंटकर पहले से तय स्थानों पर जांच शुरू की। मंदिर पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि एक टीम पश्चिमी दीवार की जांच में जुट गई और दूसरी ने व्यास जी के कमरे में प्रवेश किया। एक टीम उस हाल में पहुंची, जहां नमाज होती है।
हाल में अब तक मंदिरों में दिखने वाले 20 से अधिक ताखे मिले हैं। इनकी संरचना और उनके आसपास उभरे चिह्नों की थ्रीडी मैपिंग भी हुई। मंदिर पक्ष ने कहा कि गुंबद के पूरा सर्वे होने में अभी समय लगेगा, मगर छत की डिजाइन ने हमारा उत्साह बढ़ाया है।
दस सदस्यीय टीम कमरे से लगी सीढ़ी से होकर उत्तर दिशा में स्थित गुंबद में दाखिल हुई। अंदर से ऊपरी गुबंद के नीचे एक शंकुकार शिखरनुमा आकृति दिखी। शिखर से गुंबद की ऊंचाई करीब छह फुट है। सर्वे टीम ने शिखर की लंबाई, चौड़ाई को नापा। शिखर का व्यास काफी बड़ा है और उसकी नाप डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) के जरिए की गई। मुख्य गुंबद के नीचे भी शंकुकार शिखरनुमा ढांचा बना हुआ है और उसके चारों ओर पतला गलियारा है।
दक्षिणी गुंबद में मिले प्रतीक चिह्न
दक्षिणी गुंबद में भी शिखर जैसे ढांचे पर फूल, पत्ती आदि हिंदू धर्म से जुड़े प्रतीक चिह्न उकेरे हुए मिले। टीम ने इन आकृतियों की बनावट देखी और उसके आकार आदि के बारे में नोट किया। उन्होंने तीनों शिखरों के बीच में गोल चिह्न पाया जैसा मंदिर के शिखर पर ध्वज के लिए बना होता है। इन शंकुकार शिखरों का उल्लेख एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही की रिपोर्ट में भी है। मंदिर पक्ष इसे प्राचीन आदि विश्वेश्वर मंदिर का शिखर बताता है।
टीम लगभग पूरे दिन गुंबद व शिखर की जांच करती रही। इसके बाद छत पर भी पहुंची। यहां से तीनों गुंबदों को देखा। उनके व्यास को नापा और उसकी बनावट को देखा।
पत्थरों पर भी नजर आ रहीं फूलों की आकृतियां
मंदिर पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि सर्वे टीम व्यास जी के कमरे में विश्वनाथ मंदिर की तरफ खुलने वाले दरवाजे से दाखिल हुई। यहां से मलबा हटाने का काम जारी है। कमरे में ही जगह-जगह छोटे-बड़े अवशेष मिले, जो मंदिर के प्रतीत हो रहे हैं। खंभों पर उकेरी गईं आकृतियां स्पष्ट होती जा रही हैं। एक खंभे पर सात पंक्तियां भी मिलीं हैं जो स्पष्ट नहीं हो रहीं।
चार हिस्सों में बंटे कमरे में जमीन पर कुछ पत्थर भी हैं, जिन पर कमल के फूल, पंखुड़ी और स्वास्तिक जैसे चिह्न हैं। पुरातत्ववेत्ताओं ने प्रत्येक आकृति की बारीकी से जांच की, विशेष रूप से उनकी बनावट की। उनके बारे में नोट भी बनाया।
पश्चिमी दीवार से नहीं हट रही सर्वे टीम की नजर
पश्चिमी दीवार की जांच तीसरे दिन भी जारी रही। पूरी इमारत में हिंदू धर्म से जुड़ी सबसे अधिक आकृतियां इसी दीवार पर हैं। दीवार पर बाहर की तरफ निकले दो बड़े खंभे व खंडित आर्क पर टीम ने विशेष ध्यान दिया। बचे हुए हिस्से के साथ टूटे हिस्से की ड्राइंग तैयार की। इन खंभों व आर्क के साथ नजर आने वाली जिग-जैग दीवार की बनावट के नाप को डीजीपीएस के जरिए तैयार किया।
हर आकृति में कुछ खास की तलाश
सर्वे सुबह आठ बजे से 12:30 बजे तक और इसके बाद ढाई बजे से पांच बजे तक हुआ। टीम को पान का पत्ता, फूल, त्रिशूल या इस जैसी कोई आकृति नजर आती है, उसकी बारीकी से जांच करती है। इस बारे में टीम का प्रत्येक सदस्य एक दूसरे से जानकारी साझा करता है और फिर मिलान कर यह जानने का प्रयास किया जाता है कि उनकी बनावट में कितनी समानता है। जिन आकृतियों में समानता है, उसकी रिपोर्ट एक साथ दर्ज की जाती है।
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