ज्ञानवापी के तालाब के ताले पर लगा कपड़ा बदलना जरूरी, कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्यों की गई यह अपील
वाराणसी में ज्ञानवापी स्थित मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग के मुकदमे की सुनवाई जिला जज की अदालत में हुई। तालाब को सील करने में लगे ताले पर लगे कपड़ों को बदलने की मांग पर विशेष वकील राजेश मिश्र ने अदालत में अपना पक्ष रखा। उन्होंने ज्ञानवापी की संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर ताले पर लगा कपड़ा बदलने की बात कही।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी स्थित मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग समेत सात मुकदमों की सुनवाई बुधवार को जिला जज जय प्रकाश तिवारी की अदालत में हुई।
सुनवाई के दौरान ज्ञानवापी के तालाब (वजूखाना) को सील करने में लगे ताले पर लगे कपड़ों को बदलने की मांग के लंबित प्रार्थना पत्र पर शासन की ओर से नियुक्त विशेष वकील राजेश मिश्र ने अपना पक्ष रखा।
उन्होंने अदालत को बताया कि ज्ञानवापी की संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर ताले पर लगा सीलबंद कपड़ा बदलना जरूरी है। अदालत ने इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तिथि 17 सितंबर की तिथि तय कर दी है।
शासन के विशेष वकील ने अदालत को बताया कि एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई के दौरान 16 मई 2022 को सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की पुष्टि के बाद ज्ञानवापी परिसर के तालाब को सीलबंद करने के लिए ताला लगाने के बाद उस पर कपड़ा लपेटकर सीलबंद किया गया था। समय के साथ कपड़ा फट गया है।
ऐसे स्थिति में कोई अफवाह उड़ सकती है। इसलिए ताला पर लगा कपड़ा हटाकर नया कपड़ा लगाकर उसे सीलबंद करना जरूरी है। इस पर जिला जज ने कहा कि सिविल जज सीनियर डिवीजन और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अवलोकन के बाद प्रार्थना पत्र का निस्तारण किया जाएगा।
सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से मौजूद वकील रईस अहमद व एकलाख अहमद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उस ताले पर कपड़ा लगाकर सील किया गया है। इसलिए जिला जज की अदालत से इस पर कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता है।
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