Gyanvapi Case: ज्ञानवापी के मुकदमे में पक्षकार बनने के प्रार्थना पत्र पर 19 को होगी सुनवाई, साक्ष्य को किया गया स्वीकार
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में नए मंदिर निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ के अधिकार को लेकर दायर मुकदमे में पक्षकार बनने के लिए दायर प्रार्थना पत्र पर 19 मार्च को सुनवाई होगी। अदालत ने मुकदमे के संचालन के लिए बनाए गए न्यास डीड को साक्ष्य के रूप में स्वीकार कर लिया है। स्व. पं. सोमनाथ व्यास डा.रामरंग शर्मा पं. हरिहर नाथ पांडेय की ओर से मुकदमा दाखिल किया गया गया था।

संवाद सहयोगी जागरण वाराणसी: ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर स्व. पं. सोमनाथ व्यास,डा.रामरंग शर्मा व पं. हरिहर नाथ पांडेय की ओर से 1991 में दाखिल मुकदमे में पक्षकार बनने के प्रार्थना पत्र पर 19 मार्च को सुनवाई होगी।
मंगलवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) युगुल शंभू की अदालत ने ज्ञानवापी के इस मुकदमे के संचालन के लिए बने ''''''''न्यास डीड'''''''' को साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी की प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया।
मुकदमे की सुनवाई के बीते तिथि पर विजय शंकर रस्तोगी ने मुकदमे संचालन के लिए तैयार किए गए न्यास पत्र अदालत में प्रस्तुत करते हुए स्वीकार करने की अपील की थी। इस न्यास पत्र पर विपक्षी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद और हरिहर पांडेय की पुत्रियों द्वारा आपत्ति की गई थी।
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ज्ञानवापी मामला। जागरण
दस साल से इन्होंने न्यास पत्र को पत्रावली में क्यों नहीं दाखिल किया इसका कारण वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी द्वारा नहीं बताया गया है एवं उक्त दस्तावेज आवश्यक एवं महत्वपूर्ण नहीं है। इसलिए पत्रावली पर इसे ग्राह्य नहीं किया जाना चाहिए। दोनों पक्षों की बहस सुनकर अदालत द्वारा 11 मार्च को विजय शंकर रस्तोगी की प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया गया।
पं.हरिहर पांडेय की बेटियों मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्रा और रेनू पांडेय की ओर से मुकदमे में पक्षकार बनाने को लेकर प्रार्थना पत्र दाखिल किया है। मुकदमे के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने इसका विरोध किया है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 19 मार्च की तारीख तय की है।
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नियमित अभ्यास से बनें खुद से बेहतर: नवीन चौधरी
आज के प्रतिस्पर्धी दौर में महज डिग्रियां ही नौकरी दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं होतीं, बल्कि इसमें साफ्ट स्किल्स की भूमिका भी अहम होती है। लंका स्थित ''''क-आर्ट गैलरी एंड कैफे'''' में आयोजित संवाद सत्र में लेखक, मार्केटिंग विशेषज्ञ और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के अकादमिक सेक्शन के पूर्व ग्लोबल मार्केटिंग हेड नवीन चौधरी ने इसी विषय पर अपनी महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि साझा की।
उन्होंने सफल करियर निर्माण के लिए अनुशासन और निरंतर अभ्यास को सबसे महत्वपूर्ण बताया। कहा कि व्यक्ति अगर खुद को रोज़ाना थोड़ा-थोड़ा बेहतर बनाता जाए तो यही बेहतरी उसे सफलता की ओर ले जाती है। नौकरी पाने के लिहाज से जरूरी रिज्यूमे और सीवी बिल्डिंग से लेकर बाडी लैंग्वेज, ड्रेसिंग एंड ग्रूमिंग, कम्युनिकेशन स्किल्स आदि विषयों पर उन्होंने श्रोताओं को जरूरी गुर सिखाए। संचालन बीएचयू में पत्रकारिता के शोधार्थी हर्षित श्याम ने किया।
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