ज्ञानवापी प्रकरण में प्रार्थना पत्र में संशोधन पर सुनवाई जारी, अगली तिथि 11 दिसंबर
वाराणसी में ज्ञानवापी मामले से जुड़े 1991 के मुकदमे में, वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी को हटाने की याचिका पर अदालत में सुनवाई हुई। हरिहर पांडेय की बेटियो ...और पढ़ें

अदालत ने रस्तोगी को हटाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद संशोधन याचिका दायर की गई।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी में नए मंदिर बनाने और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर वर्ष 1991 में दाखिल मुकदमे में विजय शंकर रस्तोगी को वादमित्र के पद से हटाने की अर्जी में पारित आदेश में संशोधन के लिए दाखिल प्रार्थना पत्र पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) भावना भारतीय की अदालत में सुनवाई सोमवार को हुई।
मुकदमे में पक्षकार रहे हरिहर पांडेय की पुत्रियों मणिकुंतला तिवारी,नीलिमा मिश्रा व रेणु पांडेय की ओर से प्रार्थना पत्र में लगाए गए आरोपों पर वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने अपना पक्ष रखा।
उन्होंने शासकीय अधिवक्ता के तौर पर अपने कार्यकाल में संपादित किए गए न्यायिक कार्यों और जिला प्रशासन द्वारा मुकदमों में पैरवी करने दी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करने से अदालत को अवगत कराया।
वाद मित्र की बहस पूरी होने पर अदालत ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद व उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पक्ष रखने का अवसर देते हुए 11 दिसंबर की तिथि मुकर्रर कर दी।
स्व.हरिहर पांडेय की पुत्रियों ने दिवंगत पिता के स्थान पर पक्षकार बनाने का प्रार्थना पत्र दिया था। उनकी ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी को पद से हटाने की मांग करते हुए दूसरा प्रार्थना पत्र दिया गया।
सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) ने दोनों प्रार्थना पत्रों को 11 जुलाई को निरस्त कर दिया था। इसके बाद तीनों बहनों ने प्रार्थना पत्र में संशोधन के लिए इसी अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है।

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