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    Sonbhadra से 35 किमी दूर जंगल की गुफा में नाथ संप्रदाय के गुरु मत्स्येंद्र नाथ ने की थी तपस्या

    By saurabh chakravartiEdited By:
    Updated: Fri, 27 Nov 2020 10:00 AM (IST)

    पिछले दिनों ग्रामीण पेयजल पाइल लाइन परियोजना के शिलान्यास दौरान सोनभद्र के धंधरौल बांध किनारे से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मत्स्येंद्र नाथ में एक दिनी प्रवास की इच्छा जताने के बाद यहां के विकास की संभावनाएं प्रबल होने लगी हैं।

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    सोनभद्र के नगवां ब्लाक क्षेत्र में मत्स्येंद्र नाथ की गुफा।

    सोनभद्र, जेएनएन। पिछले दिनों ग्रामीण पेयजल पाइल लाइन परियोजना के शिलान्यास दौरान धंधरौल बांध किनारे से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मत्स्येंद्र नाथ में एक दिनी प्रवास की इच्छा जताने के बाद यहां के विकास की संभावनाएं प्रबल होने लगी हैं। यही कारण है कि एक बार फिर मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना चर्चा में है। विकास को लेकर सदर विधायक भूपेश चौबे ने भी इच्छा जताई है। ऐसे में पर्यटन के क्षेत्र में विकास की किरण दिखाई देने लगी है।

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    जिला मुख्यालय से ३५ किमी दूरी पर स्थित नगवां ब्लाक के मछरमारा गांव के पास स्थित नाथ संप्रदाय के गुरु बाबा मत्स्येंद्रनाथ की तपोस्थली के पास पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इनको शिव का भी स्वरूपनाथ माना जाता है। पहाड़ के उपर से दो हजार फीट ऊपर से गिरता पानी आकर्षक का केन्द्र हैं। इससे नीचे के गांवों में बिना किसी ऊर्जा के पाइप लगाकर पानी की आपूर्ति की जाती है। विजगढ़ किला से कुछ दूरी पर आगे जाने पर मच्छरमारा गुफा हैं, जहां महागुरु मत्स्येंद्रनाथ ने तपस्या की थी। इतिहासकार डा. जितेन्द्र कुमार ङ्क्षसह संजय बताते हैं कि वर्णरत्नाकर ज्ञानेश्वर आदि ग्रंथों के अनुसार नाथ-संप्रदाय के प्रवर्तक एवं गुरु गोरखनाथ के दीक्षा गुरु मत्स्येंद्रनाथ की तपोस्थली के रूप में विजयगढ़ की जनता मच्छरमारा गुफा का स्मरण बड़े आदर के साथ करती है। महागुरु मत्स्येंद्रनाथ की तप भूमि होने के कारण मच्छरमारा-गुफा पुनीत तो है ही साथ ही साथ नाथ संप्रदाय के उद्दभव का सूत्र भी अपने गर्भ में सहेजे हुए हैं। यहां के पर्वत से प्रकृति की अनुभूत छटा दिखती है। गुप्तकाशी में विराजमान यह तपोस्थली अद्दभूत, अलौकिक व रहस्यमयी है। पहाड़ में बनी गोमुख की आकृति से बारहों महीने जल निकलता है। इसके अलावा भी यहां पर कई ऐसे कई ऐसी जगह है जहां पर जो लोगों को आने पर मन मोह लेती है।

    कौन थे मत्स्येंद्रनाथ

    नाथ संप्रदाय में आदिनाथ और दत्तात्रेय के बाद सबसे महत्वपूर्ण नाम आचार्य मत्स्येंद्रनाथ का है, जो मीननाथ व मछंदरनाथ के नाम से लोकप्रिय हुए। मत्स्येंद्रनाथ गुरु गोरखनाथ के गुरु थे। कौल ज्ञान निर्णय के अनुसार मत्स्येंद्रनाथ ही कौलमार्ग के प्रथम प्रवर्तक थे। मत्स्येंद्रनाथ के गुरु दत्तात्रेय थे। मत्स्येन्द्रनाथ हठयोग के परम गुरु माने गए हैं जिन्हें मच्छरनाथ भी कहते हैं।

    गुफा द्वार पर पाइप लगाने से पहुंचता है पानी

    इस भीषण गर्मी में जहां बहुत से स्थानों पर पानी की समस्या गहरा जाती है, लेकिन इस स्थान पर बिना किसी कठिनाई से मात्र पाइप गुफा के द्वार पर लगा देने से ही पानी कई किमी. दूर तक जाता है। इसी पानी से लोग अपनी प्यास भी बुझाते हैं। पानी एकदम साफ रहता है। पूरे जंगल के जीव-जंतु, मानव और मंदिर प्रांगण में आने जाने वाले सभी लोग उसी जल को पीकर और स्नान कर के तृप्त होते हैं।

    धंधरौल बांध के पास से जाने का है रास्ता

    बाबा मत्स्येंन्द्रनाथ के यहां धंधरौल बांध के पास से रास्ता है। यहां पर आने-जाने का मार्ग उबड़-खाबड़ है। इसके चलते दूर-दराज के श्रद्धालु व भक्तों को पहुंचने में असुविधा का सामना करना पड़ता है। इसको लेकर कई बार लोगों ने मांग उठाई थी, उसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया गया।