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    मीरजापुर के गुलाबी पत्थरों से बनेगा श्रीराम का भव्य मंदिर, 40 करोड़ के 4.5 लाख घनफीट आपूर्ति की तैयारी

    By saurabh chakravartiEdited By:
    Updated: Wed, 16 Dec 2020 07:28 PM (IST)

    श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाने में अहरौरा के गुलाबी पत्थरों की मांग हुई है। राजस्थान के बंशी पहाड़पुर के खदानों से निकासी पर भरतपुर जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है। इसके बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अहरौरा के गुलाबी पत्थर का प्रयोगशाला में परीक्षण कराया।

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    मीरजापुर जिले के अहरौरा पहाड़ी से निकला गुलाबी पत्थर।

    मीरजापुर, जेएनएन। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाने में अहरौरा के गुलाबी पत्थरों की मांग हुई है। राजस्थान के बंशी पहाड़पुर के खदानों से निकासी पर भरतपुर जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है। इसके बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अहरौरा के गुलाबी पत्थर का प्रयोगशाला में परीक्षण कराया। जांच में स्वीकृति के बाद   ट्रस्ट करीब 40 करोड़ रुपये के 4.5 लाख घनफीट गुलाबी पत्थरों की आपूर्ति का आर्डर देने की तैयारी में है। ऐसे में क्षेत्र के पत्थर व्यवसायियों में खुशी की लहर है कि भगवान राम के मंदिर निर्माण में उनका भी योगदान हो सकेगा।

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    मंदिर निर्माण में बनेगा 1200 पायलिंग : एलएंडटी कंपनी ने मंदिर निर्माण स्थल पर 60 मीटर गहरी नींव में सीमेंट-मोरंग व गिट्टी से 1200  पायलिंग बनाएगी। यहां मीरजापुर के अहरौरा के गुलाबी पत्थरों से 49.24 मीटर ऊंचा व एक लाख पांच हजार 147 वर्ग फीट आकार के भूतल पर तीन मंजिला राममंदिर बनना है।

    गुलाबी पत्थरों से बना है पार्क व स्मारक : अहरौरा के गुलाबी पत्थरों से लखनऊ में अंबेडकर पार्क, कांशीराम स्मारक समेत कई स्मारक बनाए जा चुके हैं। इसके बाद से ही क्षेत्र के गुलाबी पत्थरों की मांग तेज हुई है। इससे क्षेत्र के श्रमिकों व पत्थर व्यवसायियों को काफी फायदा मिलेेगा। 

    लैब में की गई जांच : श्रीराममंदिर के लिए अहरौरा के खदानों के गुलाबी पत्थरों का ट्रस्ट ने परीक्षण उच्च तकनीकी क्षमता वाले संस्थानों से कराया है। इसमें हर स्तर पर पत्थरों की गुणवत्ता सही पाया गया।

    बोले पत्थर व्यवसायी : अहरौरा के जय मां भंडारी स्टोन के मालिक गुलाब मौर्य ने बताया कि उच्च गुणवत्ता वाले पिंक सैंड स्टोन के लिए क्षेत्र में कई खदानें हैं। आर्डर के मुताबिक श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर भेजे जाएंगे। यहां के पत्थरों की उम्र करीब पांच हजार साल होती है। बारिश से ये पत्थर ज्यादा मजबूत, टिकाऊ और सुंदर हो जाते हैं। इसमें अन्य पत्थरों के मुकाबले अधिक भार क्षमता व आसानी से पच्चीकारी होती है। पत्थर व्यवसायी राम जयश्री ने बताया कि श्रीराम मंदिर निर्माण से यहां के कारोबारी व मजदूर बेहद खुश हैं।

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