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    Ghosi Vidhan Sabha: सत्ता का रुख देख पाला बदलने वाले दारा को जनता ने नकारा, वोटरों ने सुधाकर पर जताया भरोसा

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Sat, 09 Sep 2023 04:43 PM (IST)

    Ghosi Vidhan Sabha Bypoll चुनाव परिणाम भाजपा की हार नहीं प्रत्याशी को लेकर जनता का आक्रोश है। दल बदलने वालों के बजाय वोटरों ने सुधाकर पर भरोसा जताया और उन्हें जीत दिलाई। वहीं दारा सिंह ही नहीं उनके जैसे सत्ता और लाभ के लिए दल-बदल करने वाले नेताओं को भी घोसी की जनता ने बड़ा संदेश दिया है। दारा सिंह चौहान के लिए यह चुनाव परिणाम बड़ा झटका है।

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    सत्ता का रुख देख पाला बदलने वाले दारा को जनता ने नकारा। -जागरण ग्राफिक्स

    वाराणसी, अनुपम निशान्त। राजनीति और चुनाव रोमांचक क्रिकेट मैच की तरह है, जहां अंतिम गेंद तक उलटफेर की संभावना रहती है। हालांकि घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में ऐसा नहीं हुआ। सुबह आठ बजे मतगणना शुरू हुई और पहले राउंड में बढ़त बनाने वाले सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह एक बार भी भाजपा के दारा सिंह चौहान से पीछे नहीं हुए। दोपहर के 12 बजते-बजते सपा और भाजपा के रणनीतिकारों को परिणाम का आभास हो गया था।

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    जनता ने सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को दिलाई जीत

    वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा का दामन छोड़कर सपा के टिकट से मैदान में उतरे दारा सिंह चौहान को 22,216 मतों से जिताने वाली घोसी की जनता ने इस बार साथ नहीं दिया। बीते जुलाई में सपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने के साथ ही विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और उपचुनाव कराना पड़ा। सत्ता का रुख देख दारा सिंह के दल बदलने की साक्षी रही जनता ने मतदान के जरिये मंशा साफ कर दी कि अब बहुत हुआ। यह भी स्पष्ट है कि यह भाजपा की हार नहीं, बल्कि प्रत्याशी को लेकर जनता का आक्रोश था, जिसने सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को जीत दिलाई। दल बदलने में माहिर दारा सिंह चौहान के लिए यह चुनाव परिणाम बड़ा झटका है।

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    दल-बदल करने वाले नेताओं को भी जनता ने दिया बड़ा संदेश

    यही नहीं, उनके जैसे सत्ता और लाभ के लिए दल-बदल करने वाले नेताओं को भी घोसी की जनता ने बड़ा संदेश दिया है। यह दारा सिंह चौहान की लोकप्रियता की परीक्षा तो थी ही, वोट ट्रांसफर करने वाले दलों को पाले में लाने की भाजपा की रणनीति की परीक्षा भी थी। चुनाव प्रचार के दौरान दारा सिंह पर एक युवक द्वारा स्याही फेंके जाने की घटना ने भी संकेत दिया था कि स्थानीय लोगों में उनके प्रति नाराजगी है। सत्ता के राजनीतिक मौसम का सटीक जानकार माने जाने वाले दारा सिंह को यह हार याद रहेगी, क्योंकि भाजपा संगठन और सरकार का पूरा समर्थन होने के बाद भी परिणाम विपरीत रहा।

    पिछले चार चुनाव के आंकड़े

    वर्ष 2022 प्राप्त मत
    दारा सिंह चौहान (सपा, विजयी) 1,08,430
    विजय राजभर (भाजपा) 86,214
    वसीम इकबाल (बसपा) 54,248
    वर्ष 2019 प्राप्त मत
    विजय राजभर (भाजपा, विजयी) 68,371
    सुधाकर सिंह (सपा समर्थित) 66,598
    अब्दुल कय्यूम अंसारी (बसपा)

    50,775

    वर्ष 2017 प्राप्त मत
    फागू चौहान (भाजपा, विजयी) 88,298
    अब्बास अंसारी (बसपा) 66,598
    सुधाकर सिंह (सपा) 59,256
    वर्ष 2012 प्राप्त मत
    सुधाकर सिंह (सपा, विजयी) 73,562
    फागू चौहान (बसपा) 57,991
    मुख्तार अंसारी (कौमी एकता दल) 44,596

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    दारा सिंह चौहान अब तक दो बार राज्यसभा सदस्य, एक बार सांसद और दो बार विधायक रहे हैं। छात्रसंघ की राजनीति से उन्होंने कांग्रेस पार्टी के माध्यम से सक्रिय राजनीति में कदम रखा और वहां पदाधिकारी बनाए गए। शीघ्र ही कांग्रेस छोड़ 1996 में वह सपा में शामिल हो गए। सपा ने उन्हें लगातार दो बार 1996-2000 और 2000-2006 तक राज्यसभा सदस्य बनाया। मुलायम सिंह यादव की सरकार गिरने के बाद 2007 में वह बसपा में शामिल हो गए। बसपा की सरकार बनी तो 2009 में लोकसभा का चुनाव घोसी से बसपा उम्मीदवार के रूप में लड़ा और सपा के सांसद चंद्रदेव प्रसाद राजभर को हराकर पहली बार लोकसभा में पहुंचे। वहां बसपा संसदीय दल के नेता बनाए गए।

    2014 में भाजपा के प्रत्याशी हरिनारायण राजभर से लोकसभा का चुनाव हारने और केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद वह 2015 में, वह भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा के टिकट पर मधुबन विधानसभा से 2017 में चुनाव जीत प्रदेश सरकार में मंत्री बने। 12 जनवरी 2022 को भाजपा और उसके मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया और सपा में शामिल होकर उसी वर्ष हो रहे विधानसभा चुनाव में घोसी से विधायक बने, लेकिन उनके उम्मीद के विपरीत राज्य में सपा की सरकार नहीं बनी तो 15 जुलाई 2023 को विधायक पद से इस्तीफा देकर सपा छोड़ दी और फिर से भाजपा में शामिल हो गए।

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