Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Ghazipur Boat Accident : पानी भरता देख कूद गए किनारे बैठे लोग, अनियंत्रित होकर नदी में पलट गई नाव

    गाजीपुर के अठहठा में बुधवार की शाम हुए नाव हादसे को लेकर लोग अलग-अलग हादसे का कारण बता रहे हैं लेकिन जमानियां निवासी नाविक रामसिंह चौधरी के अनुसार जब नाव गांव से चली तो उसने मना किया कि ज्यादा लोग नाव में ना बैठे लेकिन कोई नहीं माना।

    By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Thu, 01 Sep 2022 08:22 PM (IST)
    Hero Image
    गाजीपुर के रेवतीपुर के अठहठा में डूबे बच्चों की तलाश करते ग्रामीण।

    जागरण संवाददाता, गाजीपुर : अठहठा में बुधवार की शाम हुए नाव हादसे को लेकर लोग अलग-अलग हादसे का कारण बता रहे हैं, लेकिन जमानियां निवासी नाविक रामसिंह चौधरी ने गुरुवार हादसे का असल कारण बताया। उसके अनुसार जब नाव गांव से चली तो उसने मना किया कि ज्यादा लोग नाव में ना बैठे, लेकिन कोई नहीं माना। एक-एक कर सभी बैठते गए और इतना भयावह हादसा हो गया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हादसे के बाद नाविक रामसिंह चौधरी भी गहरे सदमे में है। उसने बताया कि नाव लेकर जा रहा था। एकदम पास पहुंच गया कि तभी नाव में पानी भरने लगा। यह देखकर लोग घबराने लगे, इस पर नाविक ने सभी से कहा कि घबराएं नहीं, मैं पानी निकालता रहूंगा, थोड़ी देर में हम पहुंच जाएंगे। इसी बीच किनारे बैठे तीन-चार लोग पानी में कूद गए। इसके बाद दूसरे साइड एक वजनी आदमी बैठा था, जिसके कारण चंद सेकेंड में नाव गहरे में पानी में समा गई।

    नाविक तीन-चार लोगों से दब गया, किसी तरह वह कुछ मिनट बाद ऊपर आया तो दो बच्चों को डूबता देखा। तभी पास में एक डिब्बा मिला, जिसको पकड़ाते हुए दोनों को किनारे धक्का दे दिया। इसके बाद वह भी बाहर निकला और बेहोश हो गया। भदौरा सीएचसी में उसका इलाज किया गया अभी वह स्वस्थ है।

    एक दिन पूर्व ही काल बन आई थी नाव

    ग्रामीणों ने बताया कि उनका गांव कई दिनों से पानी से घिरा हुआ था, लेकिन जरूरत के अनुसार अपना-अपना काम भी कर रहे थे। कोई इधर-उधर नहीं जा रहा था और सभी अपने-अपने बच्चों का विशेष ध्यान रख रहे थे। इसी बीच मंगलवार को प्रशासन की छोटी नाव पहुंची तो सभी की उम्मीदें और जरूरतें दोनों बढ़ गई। यही कारण रहा कि बुधवार को इतनी संख्या में लोग एक साथ बाजार करने चले गए। ग्रामीणों बार-बार यही कहते हुए कोष कर रहे थे कि यह नाव ही काल बनकर आई थी, नहीं आज सबकुछ पहले जैसा ही रहता।