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    Varanasi Flood: वाराणसी में एक सेमी प्रति घंटा बढ़ रहा गंगा का जलस्तर, प्रशासन अलर्ट

    Updated: Wed, 21 Aug 2024 10:42 AM (IST)

    महादेव के शहर में अब फिर किसी भी समय बाढ़ आने का भय घर करने लगा है। इन क्षेत्रों में नालों के रास्ते बाढ़ का पानी पहुंच जाता है। जनपद में गंगा नदी का चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर एवं खतरा बिंदु 71.26 मीटर है। वर्तमान में गंगा नदी चेतावनी बिंदु से 2.02 मीटर नीचे है। पुलिस प्रशासन अलर्ट हो गया है।

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    पानी के आगोश में दशाश्वमेध घाट स्थित जल पुलिस थाना। -- उत्तम राय चौधरी

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। गंगा के जलस्तर में निरंतर व़ृद्धि का क्रम जारी है, हालांकि अभी जलस्तर में एक सेमी प्रति घंटा की ही वृद्धि हो रही है लेकिन मंगलवार की शाम छह बजेे तक यह 68.36 मीटर पहुंच गया था। इससे वरुणा में एक बार फिर पलट प्रवाह की आशंका बढ़ गई है। क्योंकि पिछली बाढ़ का पानी उतरने के बाद भी वरुणा अभी लबालब है।

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    इससे एक बार फिर सारनाथ के निचले क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। इसे देखते हुए प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के साथ ही संबंधित विभागों के लिए एडवाइजरी जारी की है।

    गंगा तट के सभी घाट एक बार फिर डूब गए हैं, उनके बीच संपर्क भंग है। सारनाथ के पुराना पुल पुलकोहना, सलारपुर, दनियलपुर, रुप्पनपुर क्षेत्र के लोगों को बाढ़ का खतरा सताने लगा है। अभी लगभग एक सप्ताह पूर्व ही बाढ़ की गाद की साफ सफाई कर इन क्षेत्रों के लोग अपने-अपने मकानों में घुसे थे।

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    प्रशासन ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर

    जिला प्रशासन का दावा है कि वह बाढ़ से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बाढ़ संबंधी किसी भी प्रकार समस्या, सहायता या जानकारी प्राप्त करने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। इन नंबरों 0542-2508550, 0542-2504170, 91400371374 पर संपर्क किया जा सकता है। इसके साथ ही प्रशासन ने एडवाइजरी जारी करते हुए सबसे सुरक्षित, सतर्क व तैयार रहने को कहा है।

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    क्या करें, क्या न करें

    बाढ़ के पूर्व

    • ऊंचे स्थानों को पहले से चिह्नित करें।
    • जरूरी कागजात जैसे-राशन कार्ड, बैंक पासबुक, मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड इत्यादि काे वाटर प्रुफ बैग में संभाल कर रखें।
    • आवश्यकतानुसार खाद्य सामग्री जैसे-बिस्किट, लाई, भुना चना, गुड़, चूड़ा, नमक, चीनी, सत्तू इत्यादि एकत्र कर लें।
    • बीमारी से बचाव हेतु क्लोरिन, ओआरएस तथा आवश्यक दवाइयां प्राथमिक उपचार किट में रखें।
    • जर्जर भवन में न रहें। सूखे अनाज एवं मवेशियों के चारे को किसी ऊंचे स्थान पर सुरक्षित रखें।
    • जैरीकैन, छाता, तिरपाल, रस्सी, हवा से भरा ट्यूब, प्राथमिक उपचार किट, मोबाईल व चार्जर, बैटरी चालित रेडियों, टार्च, इमरजेन्सी लाईट, माचिस इत्यादि पहले से तैयार रखें।
    • पशुओं में होने वाली बीमारियों के रोकथाम हेतु पशुओं को समय से टीकाकरण कराएं।

    बाढ़ के दौरान

    • बाढ़ की चेतावनी मिलते ही गर्भवती महिलाओं बच्चों, वृद्धों, दिव्यांगजनों एवं बीमार व्यक्तियों को तुरंत सुरक्षित स्थान पर पहुचाएं।
    • घर छोड़ने से पूर्व बिजली का मुख्य स्विच व गैर रेगुलेटर को अनिवार्य रूप से बंद करें एवं शौचालय सीट को बालू से भरी बोरी से ढकें।
    • बाढ़ में डूबे हैंडपंप के पानी का सेवन न करें। उबले हुआ या क्लोरीनयुक्त पानी का उपयोग करें।
    • बाढ़ के पानी के संपर्क में आई खाद्य सामग्रियों का सेवन न करें।
    • गर्भवती महिलाओं को आशा एवं एएनएम की मदद से सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था करें।
    • बिजली के तार, पोल एवं ट्रांसफार्मर से दूर रहें।
    • डंडे से पानी की गहराई की जांच करें, गहराई पता न होने पर उसे पार करने का प्रयास न करें।
    • विषैले जानवरों जैसे-सांप, बिच्छू आदि से सतर्क रहें। सांप के डंसने पर पीड़ित को तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं।

    बाढ़ के बाद

    • बाढ़ से क्षतिग्रस्त घरों एवं संरचनाओं में प्रवेश न करें।
    • क्षतिग्रस्त बिजली के उपकरणों का प्रयोग न करें।
    • क्षतिग्रस्त पुल या पुलिया को वाहन द्वारा पार करने का प्रयास न करें।
    • स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा सुरक्षित घोषित करने पर ही बाढ़ में डूबे हैंडपंप के पानी का उपयोग करें।
    • महामारी की रोकथाम के लिए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों एवं घरों के आसपास ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करें।
    • संक्रामक बीमारियों से बचाव हेतु मरे हुए पशुओं एवं मलबों को एक जगह एकत्र कर जमीन में दबाएं।
    • सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।