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    श्रीकाशी विश्वनाथ धाम से दशाश्वमेध घाट तक बनेगा गंगा घाट पाथवे, बाबा के दर्शन के बाद सीधे गंगा आरती देखने पहुंच सकेंगे पर्यटक

    काशी में पर्यटकों को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर और गंगा घाटों के बीच आवागमन में होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए एक नई योजना शुरू की गई है। उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड (यूपीपीसीएल) श्रीकाशी विश्वनाथ धाम से दशाश्वमेध घाट तक 4.5 मीटर चौड़ा "गंगा घाट पाथवे" (सैरगाह कनेक्टिविटी) बनाएगा। 6.63 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह पाथवे घाटों को जोड़ेगा, जिससे बुजुर्गों और बच्चों सहित सभी पर्यटकों के लिए आवागमन आसान और सुरक्षित हो जाएगा। यह लंबे समय से लंबित योजना मंडलायुक्त के निर्देश पर पुनर्जीवित हुई है।  

    By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Tue, 24 Jun 2025 12:34 PM (IST)
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    गंगा घाट पर नापी करते यूपीपीसीएल के अभियंता।

    जेपी पांडेय, वाराणसी। अध्यात्म की नगरी काशी में आने वाले पर्यटक श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन कर दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती देखने पहुंचते हैं। गंगा की सुंदरता निहारने के साथ नौका विहार भी करते हैं, इसके लिए पर्यटकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर या दशाश्वमेध घाट पहुंचने के साथ पर्यटक सभी स्थलों का आनंद उठा सकेंगे।

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    श्रीकाशी विश्वनाथ धाम से दशाश्वमेध घाट तक पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड (यूपीपीसीएल) गंगा घाट पाथवे (सैरगाह कनेक्टिविटी) बनाने जा रहा है। पाथवे की चौड़ाई साढ़े चार मीटर होगी और रेलिंग भी बनेगा। इसको लेकर सोमवार को यूपीपीसीएल की टीम ने गंगा घाट पर स्थलीय निरीक्षण करने के साथ नापी की। इस योजना को पूरी करने में 6.63 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

    घाटों का भौतिक बुनियादी ढांचा कई मायनों में कमी वाला है। इसे पर्यटक अनुभव में बाधा डालने के साथ आसान और सुरक्षित आवागमन में बाधा डालने वाला है। गंगा घाट पर सीढ़ी की ऊंचाई अधिक होने से पर्यटकों को काफी परेशानी होती है। सबसे अधिक बुजुर्गों और बच्चों को होती है। असंतुलित होकर गिरने के साथ चोटिल भी होते हैं।

    गंगा घाटों का एक-दूसरे से संपर्क यानि कनेक्ट नहीं होने से पर्यटकों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। वे चाहकर भी सभी घाटों को नहीं देख पाते हैं। ऊंचाई इतनी होगी कि गंगा आरती स्थल डूबने पर ही आवागमन बाधित होगा।

    मंडलायुक्त के निर्देश पर बढ़ी योजना

    गंगा घाट को एक-दूसरे से जोड़ने या संपर्क मार्ग बनाने की योजना कई वर्षों से थी। पिछले दो दशक में कई बार प्रयास हुआ लेकिन योजना आगे नहीं बढ़ सकी। मंडलायुक्त एस राजलिंगम ने गत दिनों निरीक्षण करने के साथ संबंधित अधिकारियों संग बैठक की। मंडलायुक्त ने यूपीपीसीएल को योजना बनाने का निर्देश पूर्व में बनाए गए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट को देखने को कहा। यूपीपीसीएल पूर्व में बने डीपीआर संशोधन कराने के साथ नए सिर से तैयार कर रहा है।

    यह होंगे विकास कार्य

    विभिन्न घाटों के बीच संपर्क बनाना, घाटों के किनारे आसान पहुंच, आवागमन के लिए मौजूदा सैरगाह और सीढ़ियों का जीर्णोंद्धार।
    विशेष घाट के महत्व को समझाने वाले पत्थर के खंभों और दिशात्मक साइनेज।
    बैठने व आराम करने के स्थान, विक्रेता गाड़ी आदि के लिए मौजूदा प्लेटफार्मों व डेक की मरम्मत।
    घाट किनारे विश्राम स्थलों के रूप में ढके हुए क्षेत्र यानि छतरियाें का प्रावधान।
    मौजूदा मंदिरों व स्मारकों के लिए घाट पर प्रकाश व्यवस्था और पौधारोपण। -

    यह घाट जुड़ेंगे

    श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर से ललिताघाट, मीर घाट, त्रिपुरा भैरवी, मान मंदिर महल, राजेंद्र प्रसाद होते हुए दशाश्वमेध घाट।

    परियोजना का मुख्य उद्देश्य घाटों के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व की पहचान बनाए रखना। घाटों की वर्तमान स्थिति का आकलन, घाटों के एकीकृत विकास और पर्यटन सुविधाओं के विकास को लेकर पर्यटन विभाग ने प्रस्ताव बनाया है। मंडलायुक्त के निर्देश पर टीम स्थलीय निरीक्षण करने पहुंची थी।

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    मानवेंद्र सिंह, प्रोजेक्ट मैनेजर, यूपीपीसीएल