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    दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के दौरान भारत-रूस संबंधों को लेकर विशेष अनुष्ठान का आयोजन

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Fri, 05 Dec 2025 01:33 PM (IST)

    वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के दौरान भारत-रूस संबंधों को समर्पित विशेष अनुष्ठान हुआ। 1100 दीपों से 'वेलकम पुतिन' लिखकर रूसी राष्ट्रपति का स् ...और पढ़ें

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    सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने के साथ अंतरराष्ट्रीय संबंधों को सुदृढ़ करने का भी यह एक प्रयास है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के दौरान भारत-रूस के संबंधों को लेकर एक विशेष अनुष्ठान आयोजित किया गया। इस अवसर पर 1100 दीपों से "वेलकम पुतिन" लिखकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का स्वागत किया गया। साथ ही, मां गंगा से उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना भी की गई। यह अनुष्ठान गंगा सेवा निधि द्वारा आयोजित विश्व प्रसिद्ध मां गंगा की आरती में किया गया।

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    गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि इस विशेष अनुष्ठान का उद्देश्य भारत और रूस के बीच संबंधों को और मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन न केवल सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देते हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी सुदृढ़ करते हैं।

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    काशी में बड़ी संख्या में पर्यटक, विशेषकर रूस से, आते हैं और दशाश्वमेध घाट पर होने वाली मां गंगा की आरती में भाग लेते हैं। यह आरती न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा है। इस अवसर पर गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा, कोषाध्यक्ष आशीष तिवारी, सचिव हनुमान यादव सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे।

    दशाश्वमेध घाट पर आयोजित इस अनुष्ठान ने भारत-रूस के संबंधों को एक नई दिशा देने का कार्य किया है। इस प्रकार के आयोजन से न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रकट किया जाता है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग को भी बढ़ावा देता है।

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    गंगा आरती का यह आयोजन हर द‍िन होता है, जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल होते हैं। यह एक ऐसा अवसर है जब लोग एकत्रित होकर मां गंगा की महिमा का गुणगान करते हैं और अपने-अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

    इस विशेष अनुष्ठान के माध्यम से यह संदेश भी दिया गया कि भारत और रूस के बीच संबंधों को और मजबूत करने की आवश्यकता है। इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम न केवल दोनों देशों के बीच की दूरी को कम करते हैं, बल्कि एक नई मित्रता की नींव भी रखते हैं। इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि सांस्कृतिक एकता और धार्मिक आस्था के माध्यम से हम सभी एकजुट हो सकते हैं और अपने संबंधों को और मजबूत बना सकते हैं।