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    काशी के ठाठ ये गंगा के घाट : गणेश जी को समर्पित यह गंगा तट

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 13 May 2018 05:06 PM (IST)

    वाराणसी में गंगा और उसके तट के साथ ही गंगा-शिव-पार्वती और हिमालय के साथ शिव परिवार भी मान्यता है इसलिए प्रथम पूज्य गणेश जी को भी समर्पित एक घाट चौरासी प्रमुख घाटों में अपना स्थान रखता है।

    काशी के ठाठ ये गंगा के घाट : गणेश जी को समर्पित यह गंगा तट

    वाराणसी : गंगा और उसके तट के साथ ही गंगा-शिव-पार्वती और हिमालय के साथ शिव परिवार भी गंगा घाटों का अहम हिस्सा है। गंगा की अनंत और अनगिन कथाओं के पात्रों की जीवंतता इसके घाटों पर भी नजर आती है। वाराणसी इस मामले में काफी अनोखा है क्योंकि यहां चौरासी प्रमुख घाटों के क्रम में कई प्रमुख पात्रों को सम्मान ही नहीं विशिष्ट पहचान भी दी गई है। दैनिक जागरण अपने वेब सीरीज में इन्हीं घाटों की पड़ताल लेकर आया है अपने पाठकों के लिए।

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    इसी क्रम में जानते हैं गणेश घाट की महत्ता और इतिहास। ऐसी मान्यता है कि अठ्ठारहवीं सदी के पूवा‌र्द्ध में में पूणे के अमृतराव पेशवा ने तब कच्चे और अग्निश्वर और रामघाट के एक हिस्से का पक्का निर्माण कराया और इसे नई पहचान दी। उनके द्वारा ही यहां अमृत विनायक मंदिर सहित कई अन्य वैभवशाली निर्माण कराए गए। घाट पर ही गणेश जी का प्रचीन मंदिर स्थापित होने की वजह से ही कालांतर में घाट का नाम गणेश घाट ही पड़ गया। घाट पर गंगा दशहरा, भाद्र माह शुक्ल चतुर्थी और कार्तिक पूर्णिमा के साथ गणेश चतुर्थी आदि को स्नान करने पर विशेष पुण्य की मान्यता रही है। इन मौकों पर स्नान ध्यान के बाद गणेश मंदिर में दर्शन पूजन की विशेष मान्यता है। देवों में प्रथम होने की वजह से गणेश घाट की मान्यता विशेष तौर पर है। साथ ही गंगा और भगवान गणेश से जुडे़ सभी प्रमुख आयोजन घाट और मंदिर पर किए जाते हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र के लोगों की आस्था भी इस घाट और मंदिर के प्रति काफी है।