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    G 20 summit: काशी में होने वाली बैठक में आ सकते हैं पीएम मोदी, 200 से अधिक विदेशी प्रतिनिधि भी होंगे शामिल

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Pandey
    Updated: Thu, 15 Jun 2023 09:34 AM (IST)

    G 20 summit जी-20 देशों के प्रतिनिधियों की काशी में अगली बैठक 24 व 25 अगस्त को निर्धारित है। सांस्कृतिक कार्य समूह की इस बैठक में भी 200 से अधिक प्रति ...और पढ़ें

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    काशी में होने वाली बैठक में आ सकते हैं पीएम मोदी, 200 से अधिक विदेशी प्रतिनिधि भी होंगे शामिल

    जागरण संवाददाता, वाराणसी: जी-20 देशों के प्रतिनिधियों की काशी में अगली बैठक 24 व 25 अगस्त को निर्धारित है। सांस्कृतिक कार्य समूह (कल्चरल वर्किंग ग्रुप) की इस बैठक में भी 200 से अधिक प्रतिनिधियों के आने की बात है। इसी क्रम में 26 अगस्त को संस्कृति मंत्रियों की बैठक होगी।

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    इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भी आने की चर्चा है। जी-20 देशों के बीच संस्कृति के आदान-प्रदान के साथ साझा कार्ययोजना की स्वीकृति की दृष्टि से इस बैठक को बहुत महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। काशी में अंतिम बैठक 13 व 14 सितंबर को तय है।

    विदेशी प्रतिनिधि भी होंगे शामिल

    इस चौथी स्थायी वित्त कार्य समूह (सस्टेनबल फाइनेंस वर्किंग ग्रुप) की बैठक में जी 20 देशों से जुड़े वित्त के अधिकारियों के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के प्रतिनिधि व अर्थशास्त्रियों की भी जुटान होगी। काशी में जी-20 की अब तक दो महत्वपूर्ण बैठकें हो चुकी है।

    पहली बैठक कृषि के प्रमुख वैज्ञानिकों की 17 से 19 अप्रैल के बीच हुई थी। महर्षि व स्टार्टअप को लेकर सभी ने सहमति व्यक्त की थी। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में रोजगार के लिए भारत के कृषि विज्ञान केंद्र और अंतरराष्ट्रीय संगठन एफएओ (खाद्य एवं कृषि संगठन) के बीच समझौता हुआ था।

    भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डा. यूएस गौतम ने बताया था कि कौशल विकास मिशन को लेकर अंतरराष्ट्रीय संगठन एफएओ से बातचीत होना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

    कृषि क्षेत्र के बीज शोधन, मिट्टी की जांच, डिजिटल खेती-बाड़ी में रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं। इसी सोच को ध्यान में रख अंतरराष्ट्रीय संगठन एफएओ से बात हुई है। इस संगठन ने भी इस कार्य में बहुत दिलचस्पी दिखाई है।

    11 से 13 जून के बीच होगी दूसरी बैठक

    दूसरी बैठक विकास मंत्री समूहों की 11 से 13 जून के बीच हुई। इसमें भी कई विषयों पर साझा सहमति बनी। खासकर, तीसरी दुनिया के 125 देशों में गरीबी, असमानता को खत्म करने पर काम करने की सहमति बनी।

    समावेशी विकास की रूपरेखा को स्वीकार किया गया। जैव विविधता के नुकसान को रोकने, कृषि और खाद्य प्रणालियों में बदलाव, पौष्टिक भोजन और स्वस्थ आहार जन-जन तक पहुंचाने की व्यवस्था में सुधार, लैंगिक समानता समेत कई विषयों पर सहमति बनी है।