Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    James Prinsep ने खंडहर की लिपियों से लिखा सम्राट अशोक का इतिहास, प्राचीन बनारस को आधुनिक स्वरूप संग रखी नींव

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Wed, 22 Apr 2020 11:55 AM (IST)

    ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स प्रिंसेप न होते तो शायद सम्राट अशोक का समृद्ध इतिहास संकुचित रह जाता।

    James Prinsep ने खंडहर की लिपियों से लिखा सम्राट अशोक का इतिहास, प्राचीन बनारस को आधुनिक स्वरूप संग रखी नींव

    वाराणसी [विनोद पांडेय]। ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स प्रिंसेप न होते तो शायद सम्राट अशोक का समृद्ध इतिहास संकुचित रह जाता। अशोक से जुड़े शिलालेखों की खोज फेंथलर ने सर्वप्रथम 1750 ई. में जरूर की लेकिन, प्रिंसेप ने 1837 में ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों को पढऩे में सफलता पाई। बताया कि सिक्कों-अभिलेखों पर उत्कीर्ण पियदस्सी (प्रियदर्शी) अर्थात सुंदर मुखाकृति वाले राजा का नाम सम्राट अशोक लिखा है। सर एलेक्जैंडर कनिंघम के सहयोग से प्रिंसेप ने चट्टानों पर उकेरे अभिलेखों को पढ़कर विश्व को अशोक के अवदान से परिचित कराया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रिंसेप ने बनारस समेत पूर्वांचल का विकास किया। उनकी पुस्तक 'बनारस इलस्ट्रेटेड' वाराणसी को समझने के लिए स्कूल से कम नहीं। 26 नवंबर 1820 को ईस्ट इंडिया कंपनी ने जब उन्हें यहां टकसाल अधिकारी नियुक्त किया तो उन्होंने इस प्राचीन नगरी को आधुनिक स्वरूप देने का खाका वैज्ञानिक जनगणना से शुरू की। पहली बार थ्रीडी पेंटिंग व नक्शा बनवाया और सीवर सिस्टम विकसित करने के लिए मुगलों द्वारा बनवाई गई 24 किमी लंबी 'शाही सुरंग' को चुना। लाखौरी ईंट और बरी मसाला से 1827 में उन्होंने इसे 'शाही नाला' का रूप दिया जो धरोहर से कम नहीं। इससे प्रसन्न किसानों ने बनारस के विकास के लिए जमीनें दे दीं। प्रिंसेप ने इस पर विश्वेश्वरगंज मंडी बसाई, जो आज भी पूर्वांचल की सबसे बड़ी किराना मंडी है।

    बनारस में बीता दस साल

    जेम्स का जन्म 20 अगस्त 1799 में इंग्लैैंड में हुआ था। उनका जीवन 40 वर्ष का रहा। इसमें दस साल (1820-1830 तक) बनारस में बीता। यहां से कोलकाता गए और हैरिएट सोफिया से शादी की। तबीयत बिगड़ी तो 1839 में इस्तीफा देकर सपरिवार लंदन गए, जहां 22 अप्रैल 1840 को निधन हो गया।

    बनारस को सौगात

    टकसाल व नदेसर कोठी निर्माण। दिल्ली, बनारस, जौनपुर, मेरठ, करनाल सहित कई शहरों के अक्षांश व देशांतर निर्धारित। बनारस में देश की पहली वैज्ञानिक जनगणना। कर्मनाशा नदी पर असंभव पुल निर्माण। बनारस लिटरेरी सोसायटी की स्थापना। पहली बार तापमान और वायुमंडलीय दबाव मापन। औसत वर्षा व वाष्प मापन यंत्र निर्माण। हुगली नदी को गंगा की शाखाओं से जोड़ा।

    जेम्स प्रिंसेप बनारस के विकास का जनक

    जेम्स प्रिंसेप को बनारस के विकास का जनक माना जा सकता है। उन्होंने बनारस का ड्रेनेज सिस्टम डिजाइन किया और बरसात में पानी से लबालब सड़कें सूखी देख लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा।

    - ओपी केजरीवाल, जेम्स प्रिंसेप पर आधारित पुस्तक के लेखक।