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आजाद हिंद फौज के सिपाही शम्भू नाथ ठाकुर का निधन, अंग्रेजों से लिया था लोहा

आजाद हिंद फौज के सिपाही शंभू नाथ ठाकुर का शुक्रवार को बलिया में निधन हो गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 05:35 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 05:57 PM (IST)
आजाद हिंद फौज के सिपाही शम्भू नाथ ठाकुर का निधन, अंग्रेजों से लिया था लोहा

बैरिया (बलिया) : आजाद हिंद फौज के सिपाही के रूप से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अगुआई में दूसरे विश्व युद्ध में शामिल बैरिया निवासी शभू नाथ ठाकुर (103) का हृदयगति रुकने के कारण शुक्रवार की भोर में निधन हो गया। उल्लेखनीय है कि शभू नाथ ठाकुर काफी दिनों तक नेताजी के सानिध्य में रहे थे और दूसरे विश्वयुद्ध में उन्होंने सक्त्रिय भूमिका अदा किया था। उनकी अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ बहुआरा गंगा तट पर किया गया।

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बैरिया निवासी शभू नाथ ठाकुर 1939 से 1944 तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद फौज में सिपाही के रूप में रहे। उन्होंने नेताजी के साथ वर्मा, इंफाल व कोहिमा में अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लिया था। शभू नाथ ठाकुर को नेताजी से बेहद लगाव था, जिसके कारण वह उनके संपर्क में गए और आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए। शभू नाथ ठाकुर के पौत्र विनोद ठाकुर बताते हैं कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दिनों की बातें परिवार के साथ बहुत साझा नहीं करते थे किंतु उन्होंने यह जरूर बताया था कि नेताजी जैसा भारत बनाना चाहते थे, वह भारत नहीं बन पाया। 1945 में शभू नाथ ठाकुर अपने परिवारिक कारणों से आजाद हिंद फौज छोड़कर वापस गाव आ गए। बाद में नेताजी के निधन के बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने एक व्यवस्था की जो भी आजाद हिंद के सिपाही हैं वे चाहें तो उनका समायोजन भारतीय फौज में किया जा सकता है और इसी क्त्रम में देश आजाद होने के बाद शभू नाथ ठाकुर बिहार रेजीमेंट में भर्ती हो गए। जहा कुछ दिनों के सेवा के बाद वह सेवानिवृत्त हुए। शभू नाथ ठाकुर अति साधारण परिवार से थे, उनका परिवार उनके सेवानिवृत्त होने के बाद कुछ दिनों अभाव में रहा किंतु जब उन्हें सरकार ने पेंशन देना शुरू किया तब से उनकी व्यवस्था ठीकठाक हो गई। प्रति वर्ष 23 जनवरी को शभू नाथ ठाकुर नेताजी का फोटो रखकर उस पर फूलमाला चढ़ाते थे और उनको सलाम करते थे। शुक्रवार को 103 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।


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