जौनपुर में सरकारी वेबसाइट में सेंधमारी कर जन्म प्रमाण पत्र बनवाने वाले पांच अंतरजनपदीय जालसाज गिरफ्तार
जौनपुर में पुलिस ने सरकारी वेबसाइट को हैक करके जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले पांच अंतरजनपदीय जालसाजों को गिरफ्तार किया है। ये जालसाज विभिन्न जिलों में स ...और पढ़ें

इन सभी के पास तीनों राज्यों के ग्राम पंचायत अधिकारी के लागिन व पासवर्ड भी मिले हैं।
जागरण संवाददाता, जौनपुर। सरकारी वेबसाइट में सेंधमारी कर जन्म प्रमाण पत्र बनवाने वाले पांच अतंरजनपदीय जालसाजों को पुलिस ने गुरुवार को गिरफ्तार किया है। इन जालसाजों देशभर में तकरीबन तीन हजार जन्म प्रमाण पत्र इसी तरह से तैयार किए हैं।
इसमे उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र के तकरीबन सौ जन्म प्रमाण पत्र बरामद किया है। इन सभी के पास तीनों राज्यों के ग्राम पंचायत अधिकारी के लागिन व पासवर्ड भी मिले हैं।
गिरफ्तार जालसाजों में मधुबनी बिहार के खैरीबाकर निवासी राशिद, अमरोहा के डगरौली निवासी राजीव कुमार, लखनऊ के प्रेमा विहार कालोनी निवासी अभिषेक गुप्ता, गौतमबुद्ध नगर के टेकई निवासी राजकुमार उर्फ विक्की व मऊ के टेकई निवासी अंकित यादव उर्फ शुभम यादव शामिल है।
यह जालसाज ग्राम पंचायत अधिकारियों के लागिन व आइडी से dc.crsorgi.gov.in/crs/ सरकारी वेबवाइट से गैर कानूनी तरह से जन्म प्रमाण पत्र बनाते थे, जिनका नेटवर्क देश भर में फैला हुआ है। अभी दो दिसंबर को केराकत कोतवाली के मुरलीपुर गांव से तीन अन्य को गिरफ्तार किया था।
आरोपितों से मिले सुराग के आधार पर जांच कर रही पुलिस को यह सफलता मिली। अपर पुलिस अधीक्षक नगर आयुष श्रीवास्तव ने बताया कि अनुचित तरह से बनवाए गए सभी जन्म प्रमाण पत्र को रद कराया जाएगा।
इस तरह चलता था धंधा
सरकारी वेबसाइट में सेंधमारी कर जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले पांच अंतरजनपदीय जालसाजों को पुलिस ने गुरुवार को गिरफ्तार किया है। इन जालसाजों ने देशभर में लगभग तीन हजार जन्म प्रमाण पत्र इसी तरीके से तैयार किए हैं। पुलिस ने उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र से संबंधित लगभग सौ जन्म प्रमाण पत्र बरामद किए हैं। इन सभी के पास तीनों राज्यों के ग्राम पंचायत अधिकारियों के लॉगिन और पासवर्ड भी मिले हैं, जो इस जालसाजी की गंभीरता को दर्शाते हैं।
पुलिस ने बताया कि यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और विभिन्न राज्यों में जन्म प्रमाण पत्रों की अवैध बिक्री कर रहा था। इस मामले में आगे की जांच जारी है, ताकि अन्य संभावित जालसाजों का भी पता लगाया जा सके। यह घटना सरकारी सिस्टम की सुरक्षा में खामियों को उजागर करती है, जिससे नागरिकों की पहचान और अधिकारों पर खतरा मंडरा रहा है।

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