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    महि‍ला थानाध्‍यक्ष ने विवेचना से नाम हटाने के लिए मांगी थी 20 हजार रुपए की रिश्वत 

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Fri, 17 Oct 2025 04:01 PM (IST)

    भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एक महिला थाना अध्यक्ष को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। थाना अध्यक्ष पर आरोप है कि उन्होंने एक मामले से नाम हटाने के लिए रिश्वत की मांग की थी। शिकायत मिलने पर एसीबी ने जाल बिछाकर उन्हें रंगे हाथों पकड़ा। पुलिस विभाग में इस घटना से हड़कंप है और आगे की जांच जारी है।

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    महिला थानाध्यक्ष सुमित्रा देवी और महिला आरक्षी अर्चना राय। 

    जागरण संवाददाता वाराणसी। मेराज निवासी सिविल लाइन जलालपुर जनपद भदोही ने एंटी करप्शन कार्यालय वाराणसी में शिकायत दर्ज कराई है कि उसकी छोटी भाई की पत्नी रुखसार द्वारा 26 अगस्त 2025 को महिला थाने में एक मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिसकी विवेचना थाना प्रभारी सुमित्रा देवी कर रही थीं। शिकायतकर्ता ने बताया कि 28 सितंबर 2025 को सुमित्रा देवी उनके घर आईं और सभी को जेल भेजने की धमकी दी।

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    पीड़ित ने बताया कि जब वह गुरुवार को महिला थाने पहुंचे, तो थाना प्रभारी ने कहा कि यदि उनका नाम विवेचना से हटाना है, तो उन्हें 20 हजार रुपए देने होंगे। सुमित्रा देवी ने पहले 10 हजार रुपए देने की बात कही और शेष 10 हजार रुपए बाद में देने के लिए कहा। इस पर मेराज ने एंटी करप्शन को सूचित किया।

    शुक्रवार को निरीक्षक संध्या सिंह के नेतृत्व में एंटी करप्शन की टीम महिला थाने पहुंची। वहां मेराज ने पहले से ही 10 हजार रुपए सुमित्रा देवी को दे दिए थे, जो उन्होंने अपने पर्स में रखे थे। एंटी करप्शन टीम ने 10 हजार रुपए बरामद कर लिए और महिला आरक्षी अर्चना राय को भी गिरफ्तार किया।

    इस मामले ने एक बार फिर से पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के मुद्दे को उजागर किया है। एंटी करप्शन टीम की कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इस घटना ने आम जनता में पुलिस के प्रति विश्वास को भी प्रभावित किया है।

    भ्रष्टाचार के खिलाफ इस प्रकार की कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि किसी भी प्रकार की रिश्वतखोरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एंटी करप्शन विभाग की तत्परता और सक्रियता से यह उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में ऐसे मामलों में कमी आएगी।

    इस घटना ने यह भी दर्शाया है कि आम नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और किसी भी प्रकार की अनियमितता के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

    पुलिस और प्रशासन को भी चाहिए कि वे अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से करें ताकि समाज में विश्वास बना रहे। इस प्रकार की घटनाएं समाज में एक सकारात्मक बदलाव की ओर संकेत करती हैं, जहां लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित होते हैं।