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Famous Hindu Temples in Varanasi : सिंधिया घाट स्थित मां संकठा मंदिर में दर्शन से संकट से मुक्ति

Maa Sankatha temple in varanasi गंगा घाट किनारे स्थित माता संकठा का मंदिर सिद्धपीठ है। यहां पर माता की जितनी अलौकिक मूर्ति स्थापित है उतनी ही अद्भूत मंदिर की कहानी भी है। शुक्रवार के दिन दर्शन-पूजन का विशेष महत्‍व है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 06:02 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 06:02 PM (IST)
Famous Hindu Temples in Varanasi : सिंधिया घाट स्थित मां संकठा मंदिर में दर्शन से संकट से मुक्ति
temple in varanasi गंगा घाट किनारे स्थित माता संकठा का मंदिर सिद्धपीठ है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। गंगा घाट किनारे स्थित माता संकठा का मंदिर सिद्धपीठ है। यहां पर माता की जितनी अलौकिक मूर्ति स्थापित है उतनी ही अद्भूत मंदिर की कहानी भी है। धार्मिक मान्यता है कि जब मां सती ने आत्मदाह किया था तो भगवान शिव बहुत व्याकुल हो गये थे। भगवान शिव ने खुद मा संकठा की पूजा की थी इसके बाद भगवान शिव की व्याकुलता खत्म हो गयी थी और मां पार्वती का साथ मिला था। शुक्रवार के दिन दर्शन-पूजन का विशेष महत्‍व है।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पांडवों जब अज्ञातवास में थे तो उस समय वह आनंद वन (काशी को पहले आनंद वन भी कहते थे) आये थे और मां संकठा की भव्य प्रतिमा स्थापित कर बिना अन्न-जल ग्रहण किये ही एक पैर पर खड़े होकर पांचों भाइयों ने पूजा की थी। इसके बाद मां संकटा प्रकट हुई और आशीर्वाद दिया कि गो माता की सेवा करने पर उन्हें लक्ष्मी व वैभव की प्राप्ति होगी। पांडवों के सारे संकट दूर हो जायेंगे। इसके बाद महाभारत के युद्ध में पांडवों ने कौरवों को पराजित किया था। मंदिर में दर्शन करने के बाद भक्त गो माता का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं। मां संकठा के सेवादार ने कहा कि इस सिद्धपीठ में जो भी भक्त सच्चे मन से मां को याद करते हुए उनकी पूजा करता है उसके सारे संकट दूर हो जाते हैं।

काशी को यू ही मोक्ष की नगरी नहीं कहा जाता है। यहां पर ऐसे-ऐसे सिद्धपीठ है, जहां पर दर्शन करने से भक्तों के सारे दु:ख खत्म हो जाते हैं। काशी की धार्मिक मान्यता है कि यहां के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर खुद भगवान शिव भक्तों को तारण मंत्र देकर जन्मों के बंधन से मुक्त करते हैं। यही से कुछ दूरी पर मां संकटा का मंदिर है, जहां पर दर्शन करने से जीवन में आने वाले सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं।

नारियल व चुनरी के प्रसाद से खुश हो जाती है मां संकटा

मां संकठा को नारियल व चुनरी का प्रसाद चढ़ाया जाता है जिससे मां खुश हो जाती है। यहां पर चढ़ाये हुए नारियल का स्वाद भी बेहद अलग होता है। प्रसाद ग्रहण करते ही समझ में आ जाता है कि किसी सिद्धपीठ का दर्शन किया है।

कैसे पहुंचे मंदिर

संकठा मंदिर तक जाने के लिए नाव का प्रयोग किया जा सकता है। दशाश्‍वमेध या राजघाट से नाव लेकर सिंधिया घाट पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा चौक या मैदागिन की गलियों से होकर मंदिर तक जाने का रास्‍ता है। दोनों नवरात्र में यहां भक्‍तों की भीड़ होती है। शुक्रवार के दिन दर्शन-पूजन का विशेष महत्‍व है।


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