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    बीएचयू में मिर्गी के मरीजों का सर्जरी से होगा इलाज, चिकित्सा विज्ञान संस्थान में खुलेगा देश का चौथा एपलेप्सी सर्जरी सेंटर

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Thu, 28 Apr 2022 07:10 AM (IST)

    अब चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू में भी एपलेप्सी सर्जरी सेंटर खोला जा रहा है। पूर्वोत्तर भारत में यह पहला सेंटर होगा जहां मिर्गी के मरीजों की सर्जरी हो सकेगी। इसमें न्यूरोलाजी विभाग की भी अहम भूमिका होगी। कोशिश होगी कि इस आपरेशन को भी आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जाए।

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    देश में करीब 20 लाख लोग मिर्गी के मरीज हैं।

    वाराणसी, मुकेश चंद्र श्रीवास्तव। देश में करीब 20 लाख लोग मिर्गी के मरीज हैं। इनमें 75 प्रतिशत दवा से ठीक हो जाते हैं। करीब 10 से 13 प्रतिशत लाइलाज होते हैं। 13 प्रतिशत मरीजों को एपलेप्सी सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। यह सुविधा देश के तीन शहरों केरल के तिरुअनंतपुरम में श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फार मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलाजी, मुंबई के लीलावती अस्पताल और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में ही उपलब्ध है। अब चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू में भी एपलेप्सी सर्जरी सेंटर खोला जा रहा है। पूर्वोत्तर भारत में यह पहला सेंटर होगा, जहां मिर्गी के मरीजों की सर्जरी हो सकेगी। इसमें न्यूरोलाजी विभाग की भी अहम भूमिका होगी।

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    जितने मरीज इलाज के लिए आते हैं, वास्तविक मरीजों की संख्या इससे तीन गुना ज्यादा है

    आइएमएस-बीएचयू स्थित न्यूरोलाजी विभाग के डा. अभिषेक पाठक बताते हैं कि जितने मरीज इलाज के लिए आते हैं, वास्तविक मरीजों की संख्या इससे तीन गुना ज्यादा है। बीएचयू का न्यूरोलाजी विभाग प्रदेश का पहला केंद्र होगा, जहां एपलेप्सी सर्जरी हो सकेगी। न्यूरोलाजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. वीएन मिश्र बताते हैं कि देश में 13 प्रतिशत मरीजों को एपलेप्सी सर्जरी की जरूरत है। सर्जरी के बाद 80 प्रतिशत से अधिक मरीज सामान्य जीवन जी सकेंगे। इस आपरेशन में दो से पांच लाख रुपये तक खर्च आता है। कोशिश होगी कि इस आपरेशन को भी प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जाए।

    भारतीय न्यूरोलाजी एकेडमी के अध्यक्ष डा. निर्मल सूर्या के अनुसार मस्तिष्क की नस से जुड़ा होने के कारण यह आपरेशन बेहद जटिल होता है। इसमें छह विभागों के विशेषज्ञ मिलकर काम करते हैैं। वीडियो ईईजी, एडवांस एफ एमआरआइ, पैथ स्कैन आदि एडवांस मशीनों की जरूरत पड़ती है। साथ ही न्यूरोलाजी, न्यूरोसर्जरी, न्यूरा एनेस्थिसिया, न्यूरो रेडियोलाजी, न्यूरो पैथलाजी व रिहैबिलिटेशन शामिल हैं। ये सभी विभाग विकसित करने पड़ेंगे। इसकी योजना बनाई गई है।

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