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वाराणसी में पांच साल तक ड्रेजिंग कर होगा गंगा की धारा का अध्ययन, नहर को पक्का कर बनेगी शिव की पौड़ी

काशी में गंगा अर्ध चंद्रकार स्वरूप में प्रवाहमान हैं। इससे सामने घाट से असि घाट तक तीव्र धारा टकराकर दशाश्वमेध की ओर घूमती है। आगे भी घाटों से टकराते हुए मणिकर्णिका घाट से घूमकर राजघाट की ओर निकलती है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 11:18 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 08:50 AM (IST)
वाराणसी में पांच साल तक ड्रेजिंग कर होगा गंगा की धारा का अध्ययन, नहर को पक्का कर बनेगी शिव की पौड़ी
वाराणसी के गंगा उस पार रेती में ड्रेजिंग से निकला बालू।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। गंगा पार रेती में साढ़े 11 करोड़ रुपये से नहर बनाई गई है। यह कार्य गंगा के वेग का अध्ययन करने के लिए किया गया है ताकि काशी के पक्के घाटों की कटान रोकी जा सके। इसमें पांच साल तक अध्ययन चलेगा। जमा रेती की ड्रेजिंग होती रहेगी। इससे निकलने वाले बालू से राजस्व भी मिलेगा।

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काशी में गंगा अर्ध चंद्रकार स्वरूप में प्रवाहमान हैं। इससे सामने घाट से असि घाट तक तीव्र धारा टकराकर दशाश्वमेध की ओर घूमती है। आगे भी घाटों से टकराते हुए मणिकर्णिका घाट से घूमकर राजघाट की ओर निकलती है। बाढ़ के दिनों में गंगा की तीव्र धारा से पक्के घाटों के नीचे पोल हो जाने से घाट के बैठने का खतरा बना रहता है। स्थायी समाधान के लिए सिंचाई विभाग के विशेषज्ञों ने योजना बनाई है। गंगा पार रेती में नहर निर्माण किया गया है। यदि अध्ययन उम्मीद के सापेक्ष धारा को डायवर्ट करने में सहयोगी सिद्ध होगा तो नहर को पक्का किया जाएगा। इसे शिव की पौड़ी नाम दिया जाएगा, जिसमें स्नान की मुफीद व्यवस्था होगी।

5.30 किमी लंबी बनी है नहर

पानी लेबल से चार मीटर गहरा, 50 मीटर चौड़ा और 5.30 किलोमीटर लंबाई तक ड्रेङ्क्षजग कर चैनल बनाया गया है। इसमें साढ़े 11 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह नहर सामनेघाट से गंगा की धारा को डायवर्ट कर राजघाट तक ले जाकर जोड़ा गया है। कछुआ सेंचुरी के कारण बालू खदान पर रोक लगने से गंगा के पूर्वी छोर पर बालू का टीला बन गया। इससे गंगा का बहाव घाटों की ओर होने लगा।

नहर पानी में डूबी, उठे सवाल

गंगा के बढ़े जलस्तर में नहर के डूब जाने पर नदी विज्ञानीसंकटमोचन फाउंडेशन के अध्यक्ष व बीएचयू आइआइटी के प्रोफेसर विशंभरनाथ मिश्र ने योजना पर सवाल उठाया है। कहना है कि नहर के निर्माण से जहां डाउनस्ट्रीम में कटान बढ़ेगा तो वहीं, पश्चिम में सिल्ट का जमाव बढ़ेगा। नहर बाढ़ में समाहित हो गई है। नदी का इकोसिस्टम भी प्रभावित होगा। यूके चौधरी सहित तमाम नदी विज्ञानियों ने भी नहर बनाने पर सवाल उठाए थे।

ड्रेजिंग का कार्य मिला था जिसे पूरा कर दिया गया

इस साल का ड्रेजिंग का कार्य मिला था जिसे पूरा कर दिया गया है। आगे जैसा निर्देश मिलेगा वैसा काम होगा।

- दिलीप कुमार गौड़, सहायक परियोजना प्रबंधक, उप्र प्रोजेक्ट्स कारपोरेशन लिमिटेड


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