आवारा आतंक: लाइसेंस नहीं फिर भी कुत्तों की खरीद-बिक्री जारी, हर साल हो रहा लाखों का कारोबार
वाराणसी में कुत्ता पालने का शौक बढ़ रहा है जिससे कुत्तों का कारोबार भी तेजी से फैल रहा है। सिगरा की क्रिश्चियन कॉलोनी कुत्तों की बिक्री का केंद्र बन गई है जहाँ बिना लाइसेंस के भी कुत्ते बेचे जा रहे हैं। नगर निगम द्वारा लाइसेंस जारी नहीं किए गए हैं और कुत्तों के बंध्याकरण का अभियान भी ठप है। निगम ने अवैध बिक्री रोकने के लिए उपविधि बनाई है।

अजय कृष्ण श्रीवास्तव, जागरण वाराणसी। कुत्ता पालने का शौक लोगों में तेजी से बढ़ रहा है। इसमें विदेशी नस्ल के कुत्ते अधिक पसंद किए जा रहे हैं। ऐसे में बनारस में बनारस में कुत्तों जनसंख्या ही नहीं कारोबार भी तेजी से फैल रहा है। प्रतिबंधित कुत्तों तक की ब्रीडिंग कराई जा रही। इन्हें मनमानी कीमत पर बेचा जा रहा है। हाल के दशकों में सिगरा स्थित क्रिश्चियन कालोनी कुत्तों की बिक्री बड़ा हब बन कर उभरा है।
क्रिश्चियन कालोनी के अलावा अब सिगरा, लंका, शिवपुर सहित शहर के विभिन्न स्थानों पर बगैर लाइसेंस के कुत्तों की खरीद-बिक्री जारी है। नगर निगम से कुत्तों की खरीद-बिक्री अब तक एक भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया है।
बनारस में प्रतिवर्ष लाखों रुपये का कुत्तों का कारोबार होने का अनुमान है। इसके बावजूद निगम की निगाहें कुत्तों की खरीद-बिक्री पर नहीं है। निगम का अभियान कुत्तों के बंध्याकरण तक ही सीमित है। हालांकि यह अभियान भी पांच माह से ठप है।
कुत्ता काटने की बड़ी घटना प्रकाश में आने के बाद नगर निगम हरकत में जरूर आता है, लेकिन सप्ताहभर में अभियान ठंडे बस्ते में चला जाता है। वहीं बगैर लाइसेंस के कुत्तों की खरीद बिक्री को लेकर निगम की सक्रियता शून्य है। जबकि पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण (श्वान प्रजनन एवं विपणन) नियम 2017 के तहत राज्य बोर्ड से रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र के बिना कुत्तों की बिक्री नहीं की जा सकती है।
पंजीकरण का 88 साल पुराना प्रविधान
कुत्तों के साथ बिल्लियों के भी पंजीकरण की व्यवस्था वर्ष 1937 से है। अंग्रेजों के शासन काल में इसे प्रभावी करते हुए 50 पैसे पंजीकरण शुल्क रखा गया। वहीं नगर निगम में अब पंजीकरण शुल्क की राशि 500 रुपये कर दी गई है। कुत्ताें का रजिस्ट्रेशन अब स्मार्ट काशी एप के माध्यम से आनलाइन भी कराया जा सकता है।
कुत्तों के पंजीकरण अनिवार्य करने के पीछे निगम का उद्देश्य टीकाकरण की निगरानी करना है। पंजीकरण कराने से कुत्तों की सटीक संख्या का आकलन हो सकेगा। वहीं समय-समय पर इस पर नजर रखी जा सकती है।
नगर निगम बनाया उपविधि
पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डा. संतोष पाल ने बताया कि पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण (श्वान प्रजनन एवं विपणन) नियम 2017 के तहत राज्य बोर्ड से रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र के बिना कुत्तों की बिक्री नहीं की जा सकती है।
इसके बावजूद कुछ लोग बगैर लाइसेंस के कुत्तों का व्यापार भी कर रहे हैं। यही नहीं कुत्ता रखने वाले भी कुछ लोग इसका रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे हैं। इसे देखते एक उपविधि बनाई गई है। इसमें बगैर लाइसेंस के कुत्तों की खरीद-बिक्री पर अर्थदंड लगाने का प्रविधान किया गया है। इसका अनुपालन जल्द कराया जाएगा।
कुत्तों के कारोबार का नियम
- कुत्तों के कारोबार के लिए नगर निगम से लाइसेंस लेना अनिवार्य।
- लाइसेंस की वैधता महज छह माह तक, इसके बाद करना होगा नवीनीकरण।
- पांच या अधिक कुत्ता होने पर बनाना होगा ‘श्वान पशु शेल्टर’।
- कम से कम 300 वर्ग गज क्षेत्रफल की बाध्यता।
- पिटबुल, राटवीलर, डोगो अर्जेंटीनो, तोसा, फाइला ब्रासीलियो सहित अन्य पालना नस्लें की कुत्ताें की बिक्री पर रोक।
- नियम का उल्लंघन करने पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना
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